मेधा पाटकर ने शुरु किया जल सत्याग्रह
बडवानी| डेस्कः नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवा और समाज सेवी मेधा पाटकर एक बार फिर जल सत्याग्रह में बैठ गई है.
सरदार सरोवर बांध का पानी गांवों में घुसने से वे नाराज हैं.
इसी के विरोध में शनिवार से मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के डूब क्षेत्र कसवावद गांव में जल सत्याग्रह शुरू किया गया है.
सत्याग्रह में नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं सहित आस-पास गांव के लोग भी शामिल हैं.
समाज सेवी मेधा पाटकर ने कहा है कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक जल सत्याग्रह जारी रहेगा.
मेधा पाटकर का कहना है कि केन्द्रीय जल आयोग की नियमावली और नियमों का उल्लंधन करते हुए सरदार सरोवर बांध का जल स्तर अवैध रूप से बढ़ाया जा रहा है. बांध के गेट को समय पर नियंत्रित नहीं करने और ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण पानी गांवों में घुस गया है. इससे हजारों परिवार तबाह होने के कगार पर खड़े हैं.
बड़वानी (MP) विधायक राजन मण्डलोई @MandloiRajan ने @medhanarmada और जल सत्याग्रहियों को उनकी माँगें सरकार के समक्ष उठाने का आश्वासन देते हुए उनसे सत्याग्रह समाप्त करने का आग्रह किया। pic.twitter.com/rirtzVmYnt
— Rehmat (@Rehmat6) September 14, 2024
उन्होंने कहा कि नर्मदा का जल स्तर 136 मीटर से ऊपर पहुंच चुका है. ओंकारेश्वर बांध के 8 गेट शुक्रवार रात को खोल दिए गए हैं. ओंकारेश्वर का पानी इंदिरा सागर से होते हुए सरदार सरोवर क्षेत्र में पहुंचता है. इसी वजह से बड़वानी, धार, खरगोन और अलिराजपुर जिले के गांव डूब जाते हैं.
उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध का जल स्तर बढ़ने पर बांध के सभी गेट खोल कर जलस्तर को 122 मीटर पर प्रबंधित किया जाना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि इसके कारण महाराष्ट्र और गुजरात के लोग भी प्रभावित हुए हैं.
उन्होंने कहा कि घरों में पानी घुसने के कारण पिछले साल से कई परिवार शासकीय भवनों में रह रहे हैं. वहीं कई परिवार किराए या रिश्तेदारों के मकानों में रहने को मजबूर है. 2019 से टीनशेड्स में रखे गए 500 परिवारों का आज तक पूर्ण पुनर्वास नहीं हो पाया है.
मेधा पाटकर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि नर्मदा के बांधों से जल प्रवाह के नियमों को ठीक से पालन करें. सरदार सरोवर के गेट पर्याप्त मात्रा में खोलकर जलस्तर अब आगे नहीं बढ़ने दें.
उन्होंने कहा कि सरकार पीढ़ियों से पुराने नर्मदा किनारे बसे परिवारों को इस तरह से बर्बाद न करें. सरकार एक साल के अंदर युद्ध स्तरीय कार्रवाई कर सबका न्यायपूर्ण पुनर्वास करे.