पुलिस मुठभेड़ में 4 बच्चों को गोली लगी, एक गंभीर
जगदलपुर|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के माड़ में 12 दिसंबर को पुलिस ने जिस मुठभेड़ में 7 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था, उसमें 4 आदिवासी बच्चों को भी गोली लगी है. आम तौर पर मुठभेड़ प्रभावित गांवों में सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाबल के जवान, मुठभेड़ के बाद सर्चिंग ऑपरेशन चलाते हैं. लेकिन इस मुठभेड़ के 6 दिन बाद जा कर पुलिस ने बयान जारी करते हुए बच्चों के घायल होने की बात कही है.
पुलिस का दावा है कि माओवादियों ने अपने बड़े लीडर को बचाने के लिए नाबालिगों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया.
हालांकि माओवादियों ने एक बयान में दावा किया था कि इस मुठभेड़ में पुलिस ने उनके दो साथियों को पकड़ कर मार डाला. माओवादियों का कहना है कि इसके अलावा पुलिस ने 5 ग्रामीणों को पकड़ कर मार डाला, उनका माओवादी संगठनों से कोई लेना-देना नहीं है.
सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने दावा किया है कि पुलिस की अंधाधुंध गोलीबारी में चार बच्चों को गोली लगी है.
स्थानीय ग्रामीणों ने भी कहा है कि पुलिस ने खेत में काम कर रहे ग्रामीणों पर गोलीबारी की और बाद में उन्हें माओवादी घोषित कर दिया. हालांकि पुलिस ने इन बयानों के उलट दावा किया है कि मारे जाने वाले इनामी माओवादी थे.
गौरतलब है कि 12 दिसंबर को अबूझमाड़ के कलहाजा डोंड़रबेड़ा में पुलिस ने एक मुठभेड़ में 7 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था. उस समय किसी भी नागरिक के घायल होने की आधिकारिक सूचना नहीं दी थी.
अब घटना के 5 दिन बाद 17 नवंबर को पुलिस ने कहा है कि इस घटना में 4 नाबालिग भी घायल हुए हैं. पुलिस चारों घायलों का उपचार करा रही है. इससे पहले एक बच्चे को 16 दिसंबर को ही रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन पुलिस ने तब तक इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी. जब अगले दिन रायपुर के पत्रकार अस्पताल पहुंचे, तब जा कर पुलिस ने विज्ञप्ति जारी कर बच्चों के घायल होने की जानकारी पेश की.
माड़ के कलहाजा-डोंडरबेड़ा के जंगल में हुए मुठभेड में चार बच्चों के घायल होने की पुष्टि करते हुए बस्तर आईडी सुंदरराज पी ने दावा किया कि मुठभेड़ के 5 दिनों बाद पुलिस को जानकारी मिली कि मुठभेड़ के दौरान माओवादी अपने लीडर रामचंद्र को बचाने के लिए ग्रामीणों और बच्चों को आगे कर दिया था. इसी दौरान फायरिंग में 4 नाबालिगों को गोली लग गई. अब जब पुलिस को घटना की जानकारी मिली तब घायल बच्चों के इलाज की व्यवस्था की.
घायल बच्चों में एक के गर्दन पर गंभीर चोट आई है, इसलिए उसे रायपुर रेफर किया गया है.
इधर सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी प्रभावित गांवों में पहुंची, तब जा कर बच्चों को गोली लगने की बात सामने आई. सोनी सोरी ने ही बच्चों को इलाज के लिए शहर के अस्पताल जाने का दबाव बनाया.