टीआरएस नेताओं पर हमले तेज करेंगे माओवादी
रायपुर | संवाददाता: सीपीआई माओवादी ने कथित रुप से एक बयान जारी करते हुये टीआरएस के नेताओं पर अपने हमले तेज करने की घोषणा की है. सीपीआई माओवादी की तेलंगाना स्टेट कमेटी के प्रवक्ता जगन की ओर से कथित रुप से जारी बयान में कहा गया है कि मुठभेड़ में बड़े नेताओं के मारे जाने की अफवाह फैला कर सरकार हमारे हौसले को कम करना चाहती है.
गौरतलब है कि शुक्रवार को बीजापुर के उसुर इलाके में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के ग्रेहाउंड दस्ते के साथ हुये मुठभेड़ में पुलिस ने 10 माओवादियों को मार गिराने का दावा किया था. इस मुठभेड़ में ग्रेहाउंड दस्ते के एक जवान की भी मौत हो गयी थी. पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार बरामद किये थे. हथियार और उनकी संख्या को देखते हुये पुलिस ने अनुमान लगाया था कि इस मुठभेड़ में जो लोग मारे गये हैं, उनमें कुछ शीर्ष माओवादी नेता भी हो सकते हैं. पुलिस के कुछ सूत्रों ने इस घटना में इलाके के शीर्ष माओवादी नेता हरिभूषण के मारे जाने की आशंका जताई थी.
मीडिया में वायरल माओवादी प्रवक्ता के कथित बयान में आरोप लगाया गया है कि जब हम आराम कर रहे थे और आम जनता से बातचीत कर रहे थे, उसी समय पुलिस ने हम पर बिना चेतावनी दिये हमला किया.अपने बयान में प्रवक्ता ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को तानाशाह बताते हुये कहा है कि वे इस तरह के फर्जी मुठभेड़ों के लिए प्रतिबद्ध है ताकि पानी और भूमि को कॉरपोरेट घरानों को दिया जा सके. प्रवक्ता ने कहा है-अब से, हम टीआरएस नेताओं पर हमलों को तेज करेंगे. हिंदुत्व नेता रमन सिंह और फासीवादी केसीआर आदिवासी और आम आदमी पर हमले कर रहे हैं, शिकार कर रहे हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस को मुठभेड़ के बाद मारे गये माओवादियों का ब्योरा पता था, इसके बावजूद पुलिस ने लोगों और मीडिया को भ्रमित करने और जनता में आतंक पैदा करने के लिए गुमराह करने वाला बयान दिया कि शीर्ष नेता मारे गए थे.
प्रवक्ता ने मारे गये सभी 10 माओवादियों का उल्लेख भी अपने बयान में किया है. मारे गये लोगों में एक को माओवादियों ने तेलंगाना का बताया है. शेष सभी लोगों को छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर का बताया है.
इधर पुलिस सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को हुये मुठभेड़ के बाद से माओवादियों में भारी दहशत है. इस मुठभेड़ को माओवादियों के लिये बड़ा नुकसान माना जा रहा है. सुरक्षाबलों की लगातार उपस्थिति के कारण बस्तर के कई इलाकों में माओवादियों को पीछे हटना पड़ा है. इसके अलावा पिछले साल भर से पुलिस जिस रणनीति से काम कर रही है, उसके कारण माओवादी बैकफुट पर हैं.
हालांकि 10 माओवादियों के मारे जाने और अपने शीर्ष नेतृत्व को नुकसान नहीं होने को लेकर माओवादी प्रवक्ता भले अपनी उपलब्धि मान रहे हों लेकिन पुलिस का कहना है कि इस हमले के बाद बड़ी संख्या में माओवादी और माओवादियों के दबाव में काम करने वाले आदिवासी आत्मसमर्पण के लिये सामने आ सकते हैं.