बस्तर

साईबाबा के पक्ष में उतरे माओवादी

दंतेवाड़ा | संवाददाता:माओवादियों ने दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा की रिहाई की मांग की है. सीपीआई माओवादी की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में ऐसी ही कुछ और गिरफ्तारियों का उल्लेख करते हुये अपने आंदोलन को और तेज़ करने की बात कही गई है.

ग़ौरतलब है कि इसी महीने की 9 तारीख़ को दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को माओवादियों के साथ संबंध रखने के आरोप में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया है. साईंबाबा फिलहाल 14 दिन की पुलिस रिमांड पर हैं.

इस मामले पर माओवादी प्रवक्ता अभय ने अपने बयान में कहा है कि “महाराष्ट्र की पुलिस, क्रांतिकारी आंदोलन की सफाई के मंशे से अपराध के तमाम सीमाओं को पार कर रही है. दर्जनों क्रांतिकारियों की फर्जी मुठभेड़ों में हत्या कर रही है. टाडा, पोटा, माकोका जैसे काला कानूनों के तहत सैकड़ों किसानों की गिरफ्तार करना तथा उन्हें अमानवीय यातनाएं देकर जेल भेजना उनके लिए मनोरंजन का खेल बन गया है. पुलिस हिरासत हो या जेल क्रांतिकारियों की हत्या करना उनके लिए आम बात हो गई है.“

माओवादी प्रवक्ता अभय ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि गढ़चिरौली को माओवादी मुक्त ज़िला घोषित करने के लिये पुलिस तमाम तरह की कार्रवाई कर रही है. अभय ने जे एन साईंबाबा की गिरफ्तारी को भी इसी से जुड़ी मंशा बताते हुये उनकी रिहाई के लिए देश व विदेशवासियों खास रूप से जनतंत्रप्रेमियों, बुद्धिजीवियों, वकीलों, पत्रकारों, कलाकारो व कर्मचारियों से शक्तिशाली जन आंदोलन खड़ा करने का अनुरोध किया है.

माओवादी संबंध के आरोप में दूसरी गिरफ्तारियों को लेकर इस बयान में कहा गया है कि “पिछले एक साल से छात्रों व बुध्दिजीवियों की गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हुआ. शारीरिक रूप से अपंग दिल्ली जवहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय के छात्र हेम मिश्रा को गिरफ्तार करके उन पर माओवादी सिक्का लगाकर झूठा आरोप लगाये थे कि माड इलाके में माओवादी नेताओं से मिलने जा रहे थे, हालांकि वे अपनी इलाज के लिए सुप्रसिध्द समाजसेवी बाबा आम्टे द्वारा स्थापित लोकबिरादरी जा रहे थे. उनकी गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद दिल्ली के बुध्दिजीवी, राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए काम करने वाले आंदोलनकारी प्रशांत राही को भी गिरफ्तार करके उक्त कहानी को दुहाराये थे.“

अपने बयान में माओवादी प्रवक्ता ने कहा है कि “ इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद असली खेल शुरू किये. उनके पास सबूत मिलने का बहाना बनाकर दिल्ली को अपना निशाना बना लिया. दिल्ली स्थिति साईबाबा के घर की तलाशी लेना, पूछताछ के बहाने उनके कंप्यूटर व हार्ड डिस्क की चोरी करना आदि के बाद आखिर मई 9 तारीख उन्हीं को गिरफ्तार किया.“

माओवादी प्रवक्ता ने “दूसरों की मदद बिना व्हील चैयर से नहीं चल पाने वाले इन्सान को 14 दिन का पीसीआर देने” के लिये अदालत की भी आलोचना की है.

माओवादियों ने जीएन साईंबाबा को क्रांतिकारी संयुक्त मोर्चे का सहायक सचिव बताते हुये कहा है कि “ प्रोफेसर साईबाबा देश के भीतर पिछले साडे़ चार दशकों से निर्मित क्रांतिकारी आंदोलन के पक्ष में खड़े रहनेवाले ये बुध्दिजीवी अपने दायरे में शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ जनता के पक्ष में खड़े होकर लड़ रहे हैं. उनका संघर्ष संवैधानिक है और उनके संगठन भी संवैधानिक तरीके से काम कर रहे हैं. ऐसी संगठनों में से एक है क्रांतिकारी संयुक्त मोर्चा. देश के भीतर चल रहा क्रांतिकारी आंदोलन को वह दृढ़ता से समर्थन दे रहा है. यही कारण है कि राज्य उनके साथ दुश्मनी मोल लिया है.“

क्रांतिकारी संयुक्त मोर्चा यानी आरडीएफ को लेकर माओवादी प्रवक्ता ने कहा है कि “ऑपरेशन ग्रीन हण्ट को ‘जनता पर युध्द’ बताने वाले सैकड़ों प्रगतिशील व क्रांतिकारी जन संगठनों में से आरडीएफ एक है. केन्द्र एवं राज्य सरकारों को यह बरदाश्त नहीं हो रही है. आरडीएफ नेताओं को गिरफ्तार करना तथा फर्जी आरोपों पर उन्हें जेल भेजना रोज-ब-रोज बढ़ रहा है. उनमें से साईबाबा एक हैं. “

इस संगठन के दूसरे लोगों की गिरफ्तारी को लेकर माओवादी नेता ने कहा है कि “आरडीएफ के नेता जीतन मरांडी को झारखण्ड सरकार द्वारा मृत्युदण्ड सजा देने की बात सारी दुनिया जानती है. उस फैसले के खिलाफ देश में निर्मित जन आंदोलन के मद्देनजर उक्त फैसले को रद्द करना पड़ा. हाल ही में उत्तराखण्ड के एक आरडीएफ के नेता को गिरफ्तार किये. कुछ ही महीने पूर्व बिहार के आरडीएफ नेता राजकिशोरसिंह की गिरफ्तारी की. ओडीशा के दंडपाणि महंती को 2013 की शुरूआत में गिरफ्तार किया गया. ऐसी कार्यवाहियों में आन्ध्र पुलिस सबसे आगे है. एक साल पूर्व आन्ध्र प्रदेश सरकार ने आरडीएफ पर प्रतिबंध लगा दी.“

अपने बयान में माओवादी प्रवक्ता ने कहा है कि “चुनाव परिणाम घोषित करने के एक सप्ताह पहले साईबाबा की गिरफ्तारी को अचानक हुई घटना नहीं समझना है. चुनाव बाद बनने वाली सरकार की फासीवादी नीतियों का यह गिरफ्तारी मात्र एक नमूना है. आज प्रोफेसर साईबाबा को अरेस्ट किये. कल दूसरे किसी भी बुद्धिजीवी की बारी है.“

माओवादी प्रवक्ता ने प्रोफेसर साईबाबा के अलावा हेम मिश्रा व प्रशांत राही के साथ गिरफ्तार आदिवासी किसानों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुये ऑपरेशन ग्रीन हण्ट के खिलाफ दृढ़ता के साथ संघर्ष करने की बात कही है. माओवादियों ने इस बयान में जनता के संघर्ष करने का अधिकार व राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए संघर्ष करने की बात कहते हुये आन्ध्रप्रदेश में आरडीएफ पर प्रतिबंध हटाने के लिये संघर्ष करने की भी बात कही है.

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