माओवादी नेता अरविंद की मौत पर सस्पेंस
रांची | संवाददाता: माओवादी नेता अरविंद जी की मौत पर सस्पेंस बरकरार है. मीडिया में आई खबरों पर देश के पांच राज्यों में से किसी भी राज्य की पुलिस ने अब तक इस बड़े माओवादी नेता के मारे जाने पर मुहर नहीं लगाई है. झारखंड में इस माओवादी नेता पर एक करोड़ रुपये का इनाम है तो देश के दूसरे राज्यों में भी 50-50 लाख के इनाम हैं.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि दो माओवादियों के बीच बातचीत की टेपिंग से यह बात सामने आई है कि 69 साल के अरविंद जी की मौत हो चुकी है. लेकिन न तो माओवादियों ने इस संबंध में कोई जानकारी दी है और ना ही इस माओवादी नेता का शव बरामद हुआ है. हालांकि पुलिस का कहना है कि वह इस माओवादी नेता का शव बरामद करने की कोशिश कर रही है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अरविंद का शव हमें मिलेगा भी या नहीं, यह कह पाना मुश्किल है. कई बार माओवादी अपने स्तर पर किसी अज्ञात जगह शवों का अंतिम संस्कार कर देते हैं.
बिहार के जहानाबाद के सुकुलचाक गांव के रहने वाले देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद उर्फ विकास उर्फ श्रवण उर्फ निशांत जी उर्फ सुजीत ने स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई करने के बाद माओवादी आंदोलन में शामिल होने की जानकारी है.
बेहद दुःसाहसी माने जाने वाले इस माओवादी नेता ने पहले बिहार में माओवादी आंदोलन की कमान संभाली. सीपीआई एमएल पीपुल्स वार ग्रूप में बिहार प्रमुख का पद तो अरविंद के पास था ही, पार्टी की सेंट्रल कमेटी में भी अरविंद को शामिल किया गया था.
एमसीसी, पार्टी युनिटी और पीपुल्स वार ग्रूप के विलय के बाद जब सीपीआई माओवादी का गठन हुआ, तब भी अरविंद को पोलित ब्यूरो में शामिल किया गया था. माना जाता है कि झारखंड और बिहार की कई बड़ी घटनाओं में अरविंदजी की प्रमुख भूमिका रही है. मुठभेड़ में मारे गये पुलिसकर्मियों के शरीर में बम लगाने का आरोप भी अरविंदजी पर ही लगा था.