माओवादियों को अमरीका से मिले नाइटविजन डिवाइस
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: माओवादियों के लिये नाइटविजन डिवाइस की खरीदी को लेकर एनआईए की महीने भर से चल रही जांच में कई राज खुले हैं. नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए कई महीने से इस बात की जांच कर रही है कि झारखंड पुलिस के फर्जी दस्तावेज के सहारे माओवादियों के लिये अमरीका से नाइट विजन डिवाइस की खरीदी को किस तरह अंजाम दिया गया. एनआईए के महानिदेशक एस सी सिन्हा का कहना है कि इस मामले में 19 मार्च को ही एक एफआईआर दर्ज की गई है. इस मामले में गृह मंत्रालय या एनआईए के अधिकारियों ने कुछ भी बताने से इंकार किया है.
इसके अलावा फर्जी दस्तावेजों के सहारे नाइट विजन डिवाइस की खरीदी करने वाली बेंगालुरु की कंपनी एलीगेटर डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के पंजाब और दिल्ली कार्यालय पर छापेमारी कर के बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज व कई संवेदनशील सुरक्षा उपकरण भी बरामद किये गये हैं. इस मामले में एनआईए ने माओवादी प्रभावित राज्यों से संपर्क कर उनके यहां से इस तरह की खरीदी को लेकर जानकारी हासिल की है.
असल में पिछले साल अगस्त में बिहार के औरंगाबाद में पुलिस ने बड़ी मात्रा में हथियार और नाइट विजन डिवाइस बरामद किये थे. इन नाइट विजन डिवाइस को सेल्फ लोडिंग राइफल्स में लगा कर इस्तेमाल किया जा सकता था. इसके बाद इस मामले को गृह मंत्रालय को सौंपा गया. पता चला कि यह उपकरण अमरीका से खरीदे गये हैं. बाद में अमरीकी कंपनी एटीएन यानी अमरीकन टेक्नालॉजी नेटवर्क कार्पोरेशन से संपर्क किया गया कि भारत में इन संवेदनशील उपकरणों की खरीदी कैसे की गई.
गृह मंत्रालय को इसके बाद मूलतः नाइट विजन डिवाइस बनाने वाली अमरीकन कंपनी ने बेंगलुरु की कंपनी एलीगेटर डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के आदेश और उसके साथ झारखंड पुलिस के प्रपत्र भी सौंपे, जो असल में फर्जी तरीके से तैयार किये गये थे.
इसके बाद एलीगेटर डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के पंजाब और दिल्ली स्थित कार्यालयों से भारी मात्रा में संवेदनशील सुरक्षा उपकरण और दस्तावेजों की बरामदगी से इस पूरे फर्जीवाड़ा का पता चला. एनआईए ने इस मामले में 19 मार्च को एलीगेटर डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड और सीपीआई माओवादी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, गैरकानूनी गतिविधि निरोधी अधिनियम, और फर्जीवाड़ा करने का मामला दर्ज किया.
इससे पहले भारत में नाइट विजन डिवाइस की सप्लाइ करने वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, इजरायल की कंपनी प्रिजमटेक और स्विस कंपनी वोलसेल इनवेस्टमेंट के गंठजोड़ पहले से ही जांच के दायरे में है.
माओवादियों को जो नाइट विजन डिवाइस सप्लाई किये जाने के दस्तावेज सामने आये हैं, उसमें सुविधानुसार लेंस लगा कर अंधेरी रात या कोहरे में भी 2500 मीटर तक आसानी से देखा जा सकता है. इस नाइट विजन डिवाइस की बैटरी आठ घंटे तक काम करती है और इससे तस्वीरों के साथ-साथ वीडियोग्राफी की भी सुविधा है. 640 गुणा 480 पिक्सल के रेजुलूशन की तस्वीरें इसके स्क्रीन पर दिखाई पड़ती है, जिसे सुविधानुसार पांच अलग-अलग रंगों में देखा जा सकता है. पुराने डिवाइस में केवल सफेद या काले रंगों में ही देखने की सुविधा थी.
एनआईए फिलहाल एलीगेटर डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के बैंक दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है कि इसे इन अत्यंत महंगे नाइटविजन डिवाइस के लिये पैसे कहां से हासिल हुये. हालांकि माना जा रहा है कि हवाला द्वारा ये पैसे इस कंपनी को दिये गये. इसके अलावा मणिपुर की एक चरमपंथी कंपनी की भी संलिप्तता की जांच की जा रही है, जिसने माओवादियों को इससे पहले भी इस तरह की मदद की है.