मांझी सरकार को बहुमत हासिल
पटना | एजेंसी: बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल कर लिया.
मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के सभी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए, जिस कारण मत विभाजन की नौबत नहीं आई. विश्वासमत प्राप्त करने के बाद मांझी ने समर्थन देने वाले दलों को धन्यवाद दिया.
नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद नई सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही मांझी को सदन का नेता चुना गया, इसके बाद उन्होंने विश्वास मत पेश किया.
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों को इस पर चर्चा करने के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित किया. पक्ष-विपक्ष के सदस्यों द्वारा चर्चा के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जब जवाब दे रहे थे, तब प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने सरकार को अन्य दलों द्वारा दिए गए समर्थन पर बोलने की मांग की. इस मुद्दे पर बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर भाजपा के सभी सदस्य सदन से बर्हिगमन कर गए.
भाजपा के सदस्यों के जाने बाद विश्वास मत ध्वनिमत से पारित हो गया. विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में जद (यू) के 117 सदस्यों के अलावा बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्यों ने अपनी-अपनी बात रखी.
मांझी के नेतृत्व वाली जद (यू) सरकार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के एक और चार निर्दलियों का समर्थन पहले से प्राप्त है. मांझी को विश्वास मत हासिल हो जाने के बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
इस बीच, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, “मैं मोम का पुतला नहीं हूं, जो रिमोट से चलूं. हमें समर्थन की जरूरत नहीं है, फिर भी जिन दलों ने समर्थन दिया है उन्हें मैं दिल से धन्यवाद देता हूं.”
चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2010 में नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव में जो जीत हासिल की थी, वह धर्म या जाति के आधार पर नहीं, बल्कि विकास के नाम पर.
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सिर्फ बिहार में प्रचार पर 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि समूचे देश में कितने रुपये खर्च किए गए होंगे. दस साल विपक्ष में बैठने वाली भाजपा के पास इतने रुपये कहां से आए, कोई भाजपा नेता इसका जवाब नहीं दे रहा है.
मांझी के इस बयान पर प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर यह साबित कर दिया जाए तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे.
चर्चा के दौरान राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि भाजपा बिहार में जैसी स्थिति पैदा कर चुनी हुई सरकार को गिराना चाहती है, उसी के कारण राजद को आज समर्थन देना पड़ा है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का स्टैंड साफ है कि इस धर्मनिरपेक्ष सरकार को गिरने नहीं दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में जद (यू) को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली. पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने पर नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव भी अपनी मधेपुरा सीट नहीं बचा पाए.