भारत की किफायती ‘मंगल’ यात्रा
बेंगलुरू | समाचार डेस्क: मंगल ग्रह की कक्षा में भारत ने पहले प्रयास में ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है. इससे से भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत के इसरो ने अपने इस अभियान में केवल 450करोड़ रुपये खर्च किये हैं जबकि अमरीका के नासा ने इससे 10 गुना ज्यादा खर्च किया था. जाहिर है कि इससे भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है कि अंतरिक्ष में कदम जमाने के लिये पैसे नहीं, दिमाग के प्रवीणता की जरूरत है. गौरतलब है कि भारत से पहले मंगल ग्रह के कक्षा में अमरीका, रूस तथा यूरोप के यानों ने सफलतापूर्वक प्रवेश किया था.
इस प्रकार से भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है जिसने मंगल ग्रह के लिये अपने यान भेजा है. इसरो की इस सफलता के लिये प्रधानमंत्री मोदी तथा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को बधाई दी है. भारत के मंगलयान के मंगल की कक्षा में प्रवेश की पुष्टि अमरीका, यूरोप, भारत और आस्ट्रेलिया के राडारों पर आई है.
मंगलयान अभियान के एक अधिकारी ने बताया, “अंतरिक्षयान मंगल की सतह से 515 किलोमीटर दूर और रेडियो दूरी में धरती से 215 किलोमीटर दूर मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है.”
मंगलयान के मंगल की कक्षा में प्रवेश करने की प्रक्रिया सुबह 4.17 बजे से शुरू हुई, जब अंतरिक्ष यान ने रेडियो सिग्नल प्राप्त करने और उत्सर्जन के लिए मीडियाम गेन एंटीना पर स्विच किया.
सुबह 6.57 बजे मंगल ग्रह की दिशा में घूमने के बाद मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के लिए मंगलयान का मुख्य इंजन सुबह 7.17 बजे चालू हुआ.
इस महत्वपूर्ण अभियान के दौरान, मंगल ग्रह पर सुबह 7.12 बजे से अंधेरा शुरू हुआ. मंगलयान को मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने के लिए मुख्य इंजन का 440 न्यूटन लिक्वड अपोजी मोटर मंगल की कक्षा में अंतरिक्ष यान को पहुंचाने के लिए सुबह 7.30 बजे जलना शुरू हुआ और सुबह 7.54 तक यानी 24 मिनट तक जलता रहा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि मंगल अभियान की सफलता अगली चुनौती का सामना करने का आधार बन जाएगी. भारत का अंतरिक्ष यान ‘मंगलयान’ बुधवार को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया.
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से किए गए ट्विट के अनुसार, “अगली चुनौती के लिए यह सफलता एक आधार बन जाएगी. ट्विट में प्रधानमंत्री ने कहा, “आज की सफलता के साथ हम और जोश व दृढ़ निश्चिय के साथ आगे बढ़ें. अब हम फिर नए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को तैयार करें.”
उधर, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि मंगल अभियान की सफलता देश के वैज्ञानिकों को और लंबा डग भरने के लिए प्रेरित करेगा. उन्होंने मंगल अभियान को ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया. मुखर्जी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को मार्स ऑर्बिटर मिशन के मंगल की कक्षा में पहले प्रयास में प्रवेश कर जाने पर बधाई दी.
इसरो के अध्यक्ष के.राधाकृष्णन को भेजे संदेश में राष्ट्रपति ने कहा, “मैं आपके और आपकी टीम को ऑर्बिट इंसर्सन मनूवर आफ द मार्स ऑर्बिटर मिशन ‘मंगलयान’ के नौ महीने की यात्रा के बाद मिली सफलता पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं.’ उन्होंने कहा, “इस सफलता के साथ भारत एशिया का पहला देश और इसरो विश्व की चौथी एजेंसी बन गई है जिसने अपने उपग्रह मंगल ग्रह पर भेजे हैं. इसरो प्रथम प्रयास में ऐसा करने वाली पहली एजेंसी बन गई है.”
राष्ट्रपति ने कहा, “देश् को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर नाज है, जिसने एकबार फिर भारत के अंतरिक्ष क्षमता को प्रदर्शित किया है, जो हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में मील का पत्थर है, यह हमारे वैज्ञानिकों को और बेहतर उपलब्धि के लिए प्रोत्साहित करेगा.” उल्लेखनीय है कि भारत में आमतौर पर यात्रा पर जाने वाले को यह कहा जाता है कि ” आपकी यात्रा मंगलमय हो “. आज उसी भारत देश के वैज्ञानिकों की बदौलत भारत ने ‘मंगलयान’ से मंगल की ही यात्रा शुरु कर दी है.