ममता, बंगाल और नेताजी की फाइलें
कोलकाता | विशेष संवाददाता: ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव के पहले नेताजी की फाइल को सार्वजनिक कर तुरुप का इक्का चला है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस पश्चिम बंगाल के सबसे सम्मानित तथा चाहे जाने वाले नेताओं में अग्रणी हैं. उनके गायब हो जाने के बाद भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. पश्चिम बंगाल के आम लोगों को हमेशा इस बात का गम रहेगा कि काश नेताजी होते तथा देश के प्रधानमंत्री होते तो देश की तस्वीर दूसरी होती. आम तौर पर यह माना जाता है कि स्वतंत्र भारत में नेताजी को षड़यंत्रपूर्वक आने ही नहीं दिया गया था. इस कारण से नेताजी सुभाष से संबंधित ब्रिटिशकालीन तथा नेहरूकालीन फाइलों के लेकर तरह-तरह के किस्से सुनाई में आते हैं.
नेताजी की गोपनीय फाइलों के लेकर पश्चिम बंगाल में विशेषकर उत्सुकता तथा रोष दिखाई पड़ता है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी ने नेताजी से संबंधित गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करके मोदी सरकार को चुनौती दी है कि वह भी ऐसा ही करें. अब, केन्द्र सरकार के पास नेताजी से संबंधित जो गोपनीय फाइलें हैं उन्हें सार्वजनिक न करने से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में चीख-चीखकर आरोप लगायेगी कि मोदी सरकार भी कांग्रेस की राह पर चल रही है.
दूसरी तरफ, आम बंगाली मानुष ममता बनर्जी के इस साहस के लिये उसका शुक्रगुजार रहेगा.
पिछले विधानसभा चुनाव में वाम को पटखनी देने के बाद ममता के सामने चुनौती मोदी के भाजपा की है. शारदा समूह के द्वारा की गई वित्तीय गड़बड़ियों में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के दखल के कारण पार्टी की छवि पहले की तुलना में खराब हुई है. ममता चुनाव में शारदा समूह की वित्तीय लूटखटोस को मुद्दा बननने से रोकने के लिये पहले से ही एक दमदार मुद्दे की तलाश में थी जो उन्हें नेताजी के फाइलों को सार्वजनिक करके मिल गया है.
अब, पश्चिम बंगाल के चाय के दुकानों से लेकर लोकल ट्रेनों में नेताजी के किस्से फिर से बहस के विषय होंगे. शायद ममता बनर्जी यही तो चाहती थी.
पश्चिम बंगाल की सरकार ने शुक्रवार को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक कर दी और इसके साथ ही नेताजी के गायब होने के रहस्य और उनसे जुड़ी केंद्र सरकार के पास मौजूद फाइलें सार्वजनिक करने पर बहस भी तेज हो गई. नेताजी के परिवार वालों की ओर से लंबे समय से उठाई जा रही मांग पूरी करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता पुलिस संग्रहालय में 12,744 पृष्ठों वाली ये 64 फाइलें सार्वजनिक की.
सात डीवीडी के एक सेट में उपलब्ध सार्वजनिक की गईं 64 फाइलों का डिजिटल प्रारूप नेताजी के पारिवारिक सदस्यों और मीडियाकर्मियों को वितरित की गई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस समारोह में उपस्थित थीं.
ममता ने नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार से भी नेताजी से जुड़े गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का आग्रह किया और कहा कि बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक की गईं इन 64 फाइलों में शामिल पत्र इस बात को सत्यापित करते हैं कि नेताजी 1945 के बाद भी जीवित थे और उनके परिवार वालों की जासूसी की गई थी.
ममता ने कहा, “ऐसे कई पत्र हैं, जिनमें कहा गया है कि नेताजी 1945 के बाद भी जीवित थे.”
उल्लेखनीय है कि 22 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो द्वारा की गई उद्घोषणा में नेताजी के 18 अगस्त, 1945 को जापान जाते हुए हवाई दुर्घटना में मारे जाने की घोषणा की गई थी.
हालांकि नेताजी के कई समर्थक विमान दुर्घटना वाली बात को खारिज करते रहे हैं और नेताजी के दोबारा दिखाई देने के दावे होते रहे हैं, हालांकि इन दावों पर हमेशा दो मत रहे हैं.
ममता ने कहा, “मैंने दस्तावेज देखे हैं. उनसे साफ है कि नेताजी के परिजनों की जासूसी की गई थी. संदेशों को बीच में सुना गया था.”
उन्होंने जासूसी के हवाले से कहा कि यह बहुत निराश करने वाला है कि आजादी मिलने के बाद नेताजी को सम्मान नहीं मिला.
ममता ने कहा, “हर पन्ना महत्वपूर्ण है. इतिहासकारों और शोधार्थियों को इन फाइलों का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए. हमें अपनी धरती के इस बहादुर और महान बेटे के बारे में सच्चाई जाननी ही चाहिए.”
ममता ने कहा कि केंद्र सरकार को भी नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक कर देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, “सच्चाई को सामने आने देना चाहिए. अगर छिपाने के लिए कुछ है ही नहीं तो फिर केंद्र सरकार फाइलों को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है.”
केंद्र सरकार के नौकरशाह हालांकि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रभावित होने का हवाला देते हुए हमेशा से नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किए जाने को खारिज करते रहे हैं. वहीं ममता ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रभावित न होने की पुष्टि होने के बाद ही ये दस्तावेज सार्वजनिक किए.
पश्चिम बंगाल सरकार के इस कार्य को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए नेताजी के परिजनों ने केंद्र सरकार से भी नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की अपील की.
माना जा रहा है कि बंगाल सरकार के इस कदम से नेताजी के रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो जाने से पर्दा उठाने में मदद मिलेगी.
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से फाइलें सार्वजनिक किए जाने के बाद नेताजी के वंशज और परिवार के प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बहुत बढ़िया काम किया है और अब केंद्र के पास भी उसके पास मौजूद फाइलों को सार्वजनिक करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.”
मूल फाइलें कलकत्ता पुलिस संग्रहालय में रखी गई हैं. फाइलों के डिजिटल प्रारूप सोमवार से ‘पहले आओ पहले पाओ’ आधार पर आम लोगों को उपलब्ध होंगे.
कोलकाता पुलिस आयुक्त एस. के. पुरकायस्थ ने संग्रहालय में एक छोटे-से समारोह के बाद फाइलें नेताजी के वंशजों को सौंप दी और इसकी प्रतियां संवाददताओं को भी दी. पहली प्रति नेताजी की करीबी रिश्तेदार और पूर्व तृणमूल कांग्रेस सांसद कृष्णा बोस को सौंपी गई.
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि ममता बनर्जी ने ‘राह दिखाई है और अब केंद्र को फाइलें सार्वजनिक करनी होंगी.’
चंद्र कुमार बोस ने कहा, “उनके गायब होने के रहस्य का उद्घाटन करने वाली कहीं अधिक महत्वपूर्ण फाइलें केंद्र सरकार के विभागों के पास हैं और अब बारी मोदी की है.”
इस मसले पर नेताजी के परिवार के सदस्य और कुछ अनुसंधानकर्ता अक्टूबर में प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले हैं. वे रूस और ब्रिटिश सरकारों से अपनी गुप्तचर एजेंसियों के पास मौजूद नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने के लिए प्रधानमंत्री से अनुरोध करेंगे.
नेताजी द्वारा स्थापित ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ ने भी बंगाल सरकार के इस कदम की सराहनी की है.
पार्टी महासचिव देबब्रत विश्वास ने कहा, “इन फाइलों से हमें भारत को आजादी दिलाने में द्वितीय विश्वयुद्ध की परिस्थितियों का लाभ उठाने और नेताजी की अन्य योजनाओं और रणनीतियों का खुलासा होगा. इससे तत्कालीन कांग्रेस सरकार की स्वतंत्र भारत से नेताजी को दूर रखने की साजिश का भी खुलासा होगा.”(एजेंसी इनपुट के साथ)