बस्तर में जब जरुरत थी, तभी नहीं चलाया मलेरिया मुक्त अभियान
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बस्तर को मलेरिया से मुक्त करने के लिए जिस समय अभियान चलाने की ज़रुरत थी, उसी समय यह अभियान लॉजेस्टिक का हवाला दे कर नहीं चलाया गया.
बस्तर में मलेरिया मुक्त अभियान का दसवां चरण पांच जुलाई को ख़त्म हो जाना चाहिए था. लेकिन सुविधाओं और बजट की कमी के कारण दसवां चरण जुलाई महीने में ठीक से शुरु भी नहीं हो सका.
स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों का मानना है कि मलेरिया मुक्त अभियान को समय पर नहीं चलाने के कारण बस्तर में इस साल मलेरिया के मामले तेज़ी से बढ़े हैं.
बरसात की शुरुआत के साथ ही मलेरिया का प्रकोप तेज़ी से बढ़ता है. लेकिन इसी दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सबसे अधिक लापरवाही बरती.
बस्तर में मलेरिया मुक्ति के नौ चरण निर्बाध रुप से चले और उसका असर भी नज़र आया. उस असर को इस महीने ही राज्य सरकार ने उपलब्धि की तरह प्रचारित भी किया.
लेकिन जिस दौरान मलेरिया मुक्त अभियान की सबसे अधिक ज़रुरत थी, उसी दौरान इस अभियान में बजट का रोड़ा अटका दिया गया. नौ चरणों में किए गए बेहतर प्रयास पर पानी फेर दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के अफ़सरों का कहना है कि लॉजिस्टिक नहीं होने के कारण समय पर अभियान शुरु नहीं किया जा सका.
बीजापुर में दो हज़ार से अधिक पीड़ित
बीजापुर ज़िले में मलेरिया से दो बच्चों की मौत हो चुकी है और ज़िले में 2071 लोग मलेरिया से ग्रस्त पाए गए हैं.
इनमें सर्वाधिक संख्या बच्चों की है.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जो लोग मलेरिया ग्रस्त पाए गए हैं, उनमें 1090 स्कूली बच्चे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के कारण कई इलाकों में आवागमन पूरी तरह से बंद हो चुका है. ऐसे में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की हो सकती है, जो मलेरिया से जूझ रहे हों और जिनकी न तो जांच हो पा रही हो और ना ही उन्हें दवा मिल रही हो.
हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पूरे बस्तर में मलेरिया पीड़ितों का इलाज सुनिश्चित करने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है.