स्वास्थ्य

मलेरिया प्रजनन शक्ति घटाती है

नई दिल्ली | एजेंसी: मलेरिया से प्रजनन शक्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है. यह रोग पुरुष के वीर्य की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है और गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. यह कहना है प्रसिद्ध आईवीएफ और बांझपन विशेषज्ञ तथा दिल्ली के एडवांस फर्टिलिटी एंड गाइनिकोलॉजी सेंटर की क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ. काबेरी बनर्जी का.

वह कहती हैं कि मलेरिया भारत समेत दुनिया के 100 देशों के नागरिकों को प्रभावित करता है. इस रोग की चिकित्सा प्रणाली के भी कई दुष्प्रभाव हैं. जब किसी को मलेरिया के दौरान काफी तेज बुखार भी आए तो उसे गंभीर अजुस्परमिया होने का खतरा रहता है. अजुस्परमिया यानी शुक्राणुओं की संख्या न के बराबर होना, निक्रोजूसपरमिया यानी शुक्राणुओं का मृत या गतिहीन होना या ओलिगॉस्परमिया यानी शुक्राणुओं की संख्या कम होना.

यूं तो मलेरिया के इलाज के साथ ही यह समस्या भी दूर हो जाती है, इसलिए जब जोड़े गर्भ धारण की कोशिश उन दिनों में करते हैं, जब पुरुष या तो मलेरिया से पीड़ित हो या अभी अभी ठीक हुआ हो तो गर्भधारण करने की संभावना काफी कम हो जाती है.

डॉ. काबेरी ने कहा कि बहुत से लोगों को पता नहीं है कि परजीवी से होने वाले बीमारी मलेरिया से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन शक्ति प्रभावित हो सकती है. इस बीमारी के अलावा कई बार कुनीन और कलोरोक्वीन दवाएं, जो मलेरिया के इलाज के लिए प्रयोग की जाती हैं, उसका असर पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता पर पड़ता है और प्रजनन में सहायक कई हारमोन की खून में कमी हो जाती है.

कुछ मामलों में वह औरतों के अंडे की गुणवत्ता पर भी असर कर सकती हैं. मलेरिया से बच्चे के गिरने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं. वर्ल्ड मलेरिया डे पर इन कम जानकारी वाले तथ्यों के प्रति जागरूक करने का सुनहरा मौका है. वैसे, पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन शक्ति पर मलेरिया से पड़ने वाले प्रभावों की सटीक जानकारी के लिए और अधिक शोध की जरूरत है.

गर्भ ठहरने के बाद अगर महिला को मलेरिया हो जाए तो मां और गर्भ में पल रहे भ्रूण दोनों को नुकसान पहुंच सकता है. इसके कारण भ्रूण में गंभीर परजीवी संक्रमण और अनिमिया हो सकता है, जो गर्भ के दौरान मौत का बड़ा कारण बन सकता है. इस बीमारी की वजह से बच्चे का जन्म सही समय से पहले हो सकता है या जन्म के समय वजन बहुत कम हो सकता है, जिसकी वजह से जन्म के तुरंत बाद मौत का खतरा बढ़ सकता है.

जैसा कि कहा जाता है, बचाव ही इलाज है. इसलिए बेहतर है कि मच्छर प्रतिरोधक उपकरणों, कीट-नाशक व मच्छरदानियों का प्रयोग करने के साथ ही टांगें और बाजू अच्छी तरह से ढक कर रखें. इसके अलावा मलेरिया के लक्षणों जैसे कि बुखार, सिहरन, सिरदर्द, पसीना आना, जी मिचलाना और थकावट आदि की जानकारी होनी चाहिए, ताकि तुरंत इलाज करवाया जा सके और मलेरिया के असर को कम किया जा सके.

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