छत्तीसगढ़

महानदी को लेकर ठनी

भुवनेश्वर | समाचार डेस्क: महानदी को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार तथा ओडिशा सरकार में तनातनी हो गई है. महानदी को लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बयान को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है जबकि छत्तीसगढ़ का कहना है कि ओडिशा इसे लेकर ‘अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण’ कर रहा है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बुधवार को महानदी नदी के पानी के बंटवारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की और इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के अपने समकक्ष रमन सिंह के बयान को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया. पटनायक ने यहां संवाददाताओं से कहा, “महानदी नदी के पानी के बंटवारे के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बयान सह-बेसिन राज्यों व हमारी संघीय सरकार के बीच अंतर-राज्यीय पानी के बंटवारे को लेकर आधारभूत सिद्धांतों का उल्लंघन है.”

पटनायक ने कहा कि वह महानदी नदी के पानी के मुद्दे को पहले ही प्रधानमंत्री के समक्ष उठा चुके हैं.

रमन सिंह ने मंगलवार को कहा कि महानदी मुद्दे का ओडिशा में ‘अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण’ किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ केंद्रीय जल आयोग की मंजूरी से नदी से पानी ले रहा है. वस्तुत: हमें अधिक पानी लेने का अधिकार है.”

पटनायक ने इस मुद्दे पर संसद में कथित तौर पर भ्रमित करने वाले बयान के लिए केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री संजीव बाल्यान की आलोचना की.

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने कहा, “सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण संसद में मंगलवार को बाल्यान द्वारा गलत व भ्रमित करने वाला बयान देना है.”

पटनायक ने छत्तीसगढ़ से मुद्दे के सुलझने तक नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण संबंधी गतिविधियां बंद करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, “महानदी हमारे राज्य की जीवनरेखा है. छत्तीसगढ़ के एकपक्षीय व जबरदस्ती की कार्रवाई से हम महानदी को सुखाने की अनुमति नहीं देंगे.”

पटनायक ने कहा, “मैं ओडिशा के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि मेरी सरकार मुद्दे को विभिन्न स्तरों पर उठाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और महानदी के पानी पर अपने न्यायपूर्ण अधिकारों को बनाए रखने के लिए हर दरवाजा खटखटाएंगे.”

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महानदी नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में बैराज के निर्माण का ओडिशा विरोध कर रहा है. ओडिशा का कहना है कि इससे प्रदेश के किसान प्रभावित होंगे.

जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया खा कि महानदी के जल ग्रहण के केवल 25 फीसदी पानी का ही राज्य ने उपयोग किया है. हीराकुंड बांध का औसत बहाव 40 हजार एम. सी एम है जिसमें छत्तीसगढ़ का योगदान 35 हजार एम. सी. एम. है जबकि उससे राज्य केवल 9 हजार एम. सी. एम. पानी ही लेता है.

उल्लेखनीय है कि महानदी भारत के धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा है. यह नदी और इसकी सहायक नदियों के कुल ड्रेनेज एरिया का 53.90 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में, 45.73 प्रतिशत ओड़िशा में और 0.35 प्रतिशत अन्य राज्यों में है. हीराकुद बांध तक महानदी का जलग्रहण क्षेत्र 82 हजार 432 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 71 हजार 424 वर्ग किलोमीटर छत्तीसगढ़ में है, जो कि इसके सम्पूर्ण जल ग्रहण क्षेत्र का 86 प्रतिशत है.

महानदी
यह छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा अंचल की सबसे बड़ी नदी है. प्राचीनकाल में महानदी का नाम चित्रोत्पला था. महानन्दा एवं नीलोत्पला भी महानदी के ही नाम हैं. महानदी का उद्गम रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से हुआ है. महानदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ है.

सिहावा से निकलकर राजिम में यह जब पैरी और सोढुल नदियों के जल को ग्रहण करती है तब तक विशाल रुप धारण कर चुकी होती है. ऐतिहासिक नगरी आरंग और उसके बाद सिरपुर में वह विकसित होकर शिवरीनारायण में अपने नाम के अनुरुप महानदी बन जाती है. महानदी की धारा इस धार्मिक स्थल से मुड़ जाती है और दक्षिण से उत्तर के बजाय यह पूर्व दिशा में बहने लगती है.

संबलपुर में जिले में प्रवेश लेकर महानदी छ्त्तीसगढ़ से बिदा ले लेती है. अपनी पूरी यात्रा का आधे से अधिक भाग वह छत्तीसगढ़ में बिताती है. सिहावा से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरने तक महानदी लगभग 855 कि॰मी॰ की दूरी तय करती है. छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर धमतरी, कांकेर, चारामा, राजिम, चम्पारण, आरंग, सिरपुर, शिवरी नारायण और उड़ीसा में सम्बलपुर, बलांगीर, कटक आदि स्थान हैं.

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