मध्यप्रदेश पुलिस की कार्रवाई का विरोध
भोपाल | समाचार डेस्क: मध्यप्रदेश में सोशल मीडिया पर संघ सरसंघचालक मोहन भागवत की मोर्फ की हुई तस्वीर को साझा करने वालों को गिरफ्तार करने का विरोध शुरु हो गया है. मार्क्सवादी पार्टी के नेता बादल सरोज ने इस पर तंज कसते हुये कहा कि शिवराज सरकार कार्टून से डर गई है. उन्होंने पुलिस कार्यवाही की तुलना आपातकाल से की है. उधर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी मध्यप्रदेश पुलिस की इस कार्यवाही का विरोध किया है. उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में खरगोन जिले के दो युवकों को सोशल मीडिया मोहन भागवत की तस्वीर से छेड़छाड़ कर उसे शेयर करने पर गिरफ्तार किया गया. उसके बाद से पुलिस की इस कार्रवाई का चौतरफा विरोध हो रहा है और इसे आपातकाल की याद दिलाने वाला कृत्य करार दिया जा रहा है. हिंदू भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए गोगावां थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी.
इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने भीकनगांव निवासी शाकिर यूनिस बंठिया (22) और खरगोन के वसीम शेख (21) को गुरुवार को गिरफ्तार किया.
इन पर आरोप है कि उन्होंने मोहन भागवत की तस्वीर से छेड़छाड़ कर उसे साझा किया, जिसमें चेहरा तो भागवत का है, मगर निचला हिस्सा एक महिला का है, जिसमें महिला को टॉप और कत्थई रंग की लैगिंग को पहने दिखाया गया है. यह छेड़छाड़ वाली तस्वीर संघ में ड्रेसकोड में बदलाव के एलान के बाद आई .
इन दोनों युवकों के खिलाफ रजनीश निंबालकर द्वारा गोगावां थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी, इस शिकायत पर पुलिस ने यूनिस को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और भारतीय दंड विधान की धारा 505 (दो) और वसीम को धारा 151 के तहत प्रकरण दर्ज कर गुरुवार को गिरफ्तार किया और बाद में रिहा कर दिया.
खरगोन के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने शनिवार को कहा कि दोनों युवकों को रिहा कर दिया गया है. भागवत के चेहरे वाली जो तस्वीर बनाई गई है, उसमें निचला हिस्सा महिला का है, जो सेक्स अपील कर रहा है, इस तस्वीर से दो वर्गो में मनमुटाव की संभावना है, इसी के चलते प्रकरण दर्ज किया गया.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा है कि आरएसएस द्वारा ड्रेसकोड में बदलाव किए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर अनेक कार्टून वायरल हो रहे हैं. दो युवकों ने एक तस्वीर फेसबुक पर साझा किया, जिस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया जो अवैधानिक चाटुकारिता और प्रशासन के दुरुपयोग का निर्लज्ज नमूना है.
उन्होंने कहा कि यह आपातकाल के नाम पर थोपी गई तानाशाही के समय की याद दिलाने वाला कृत्य है. यह कैसा संगठन, विचार या सरकार है, जिन्हें कार्टून तक से डर लगता है.
एमनेस्टी इंटरनेशन इंडिया ने भी खरगोन पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. एमनेस्टी के कैंपेनर अभीर वी.पी. ने दोनों युवकों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने की मांग की है.