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स्तनपान को बढ़ावा देने की कवायद

भोपाल | एजेंसी: एक नवजात का मां के दूध पर नैसर्गिक अधिकार होता है, लेकिन जागरूकता के अभाव और कुछ रूढ़ियों की वजह से उन्हें यह अधिकार नहीं मिल पा रहा है. मध्य प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पत्र लिखकर उनसे अपनी पहुंच का इस्तेमाल क्षेत्र में स्तनपान को बढ़ावा देने में करने के लिए कहा है.

नवजात के लिए जन्म से लेकर अगले छह माह तक मां का दूध एक संपूर्ण आहार माना गया है, लेकिन भ्रांतियों और रूढ़ियों की वजह से कई बच्चों को जन्म के बाद मां का दूध नहीं दिया जाता. कई बार मां के दूध के अभाव में नवजात की अकाल मौत भी हो जाती है.

राज्य की महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह ने समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिए सबसे निचले स्तर पर काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उनकी पहुंच का अहसास कराते हुए उनसे बच्चों को उनका अधिकार दिलाने के लिए आगे आने की अपील की है.

महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह ने 24 जुलाई को इस बाबत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आधिकारिक रूप से लिखे कई पत्रों में कहा है कि खुशहाल और स्वस्थ बचपन हर बच्चे का नैसर्गिक अधिकार होता है, ऐसा ही अधिकार मां का दूध पाना भी है.

मां के दूध का महत्व हर औरत एवं तबका नहीं समझ पाता है. नतीजतन नवजात को जन्म के तुरंत बाद मां के दूध की बजाय शहद या घुट्टी आदि पिला दी जाती है, जो नुकसानदायक है. राज्य में 83 हजार आंगनबाड़ियां हैं. इनमें कार्यरत महिला कार्यकर्ताओं की पहुंच करीब-करीब हर घर में होती है. महिला बाल विकास मंत्री ने इसी को ध्यान में रखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से जनजागृति के लिए आगे आने का आह्वान किया है.

उन्होंने अपने पत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकताओं से अपील की है कि वे अपनी पहुंच का उपयोग स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए करें.

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