माधवी बुच पर अब चीनी कंपनियों में पैसा लगाने का आरोप
नई दिल्ली। डेस्कः कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी बुच के खिलाफ चीनी कंपनियों सहित भारत के बाहर निवेश का आरोप लगाया है.
कांग्रेस ने बुच पर अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी के कब्जे में रहते हुए लिस्टेड सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग करने का भी आरोप लगाया है.
शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री को पता है कि माधवी पुरी बुच ने भारत के बाहर हाई वैल्यू का निवेश किया है? यदि हां, तो निवेश की तारीख और प्रकटीकरण की तारीख क्या है?
उन्होंने कहा कि क्या प्रधानमंत्री को पता है कि सेबी प्रमुख ऐसे समय में चीनी फर्मों में निवेश कर रही हैं, जब भारत चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव का सामना कर रहा है?
खेड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि ‘2 सितंबर 2024 को कांग्रेस ने खुलासा किया था कि माधवी बुच ने आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 16.8 करोड़ रुपए वेतन, ईएसओपी और ईएसओपी पर टीडीएस के रूप में प्राप्त किए थे, जबकि उन्हें सेबी से भी वेतन मिल रहा था. इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि सेबी इस दौरान आईसीआईसीआई और उसके सहयोगियों के खिलाफ शिकायतों को संभाल रहा था.’
पवन खेड़ा के मुताबिक, 3 सितंबर 2024 को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा स्पष्टीकरण जारी करने के बाद उनसे सेवानिवृत्ति लाभ, ईएसओपी, और ईएसओपी पर टीडीएस के बारे में नए तथ्यों के साथ जवाब मांगा गया, लेकिन आईसीआईसीआई ने इन बिंदुओं पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि माधवी पुरी बुच की अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी में उस समय 99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जब यह परामर्शदाता कंपनी ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ समूह को सेवा प्रदान कर रही थी.
खेड़ा ने 10 सितंबर को यह दावा भी किया था कि माधवी के सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते उनके पति धवल बुच को साल 2019-21 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4.78 करोड़ रुपए मिले थे.
खेड़ा ने कहा कि यदि धवल बुच को 4.78 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था तो महिंद्रा एंड महिंद्रा को कथित रूप से निष्क्रिय कंपनी अगोरा एडवाइजरी को दिए गए 2.59 करोड़ रुपए के भुगतान को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
पिछले दिनों महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कांग्रेस के आरोपों को असत्य और भ्रामक करार देते हुए कहा था कि उसने कभी भी सेबी से तरजीह के लिए अनुरोध नहीं किया था तथा धवल बुच की सेवा उनके वैश्विक अनुभव को देखते हुए सिर्फ आपूर्ति श्रृंखला के लिए ली गई थी.
अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में माधवी बुच पर अदाणी समूह से जुड़े मामले में हितों के टकराव का आरोप लगाया था. इसके बाद से कांग्रेस उन्हें हटाए जाने की मांग कर रही है.
सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार बताया और जोर देकर कहा है कि उनका वित्तीय कामकाज एक खुली किताब है.
माधबी बुच और उनके पति धवल ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर खुद पर लगे सभी आरोपों को पूरी तरह से झूठ, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक कहा था.