महाराष्ट्र में सात विधायकों की लगी लॉटरी
मुंबई| डेस्कः महाराष्ट्र में आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले महायुति के 7 नेताओं की लॉटरी लग गई. इन नेताओं को राज्यपाल ने मनोनीत विधायक के तौर पर मंजूरी दे दी है. इसके बाद विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे की उपस्थिति में इन नेताओं का विधान परिषद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण भी संपन्न करा दिया गया.
इस प्रकार विधान परिषद की राज्यपाल मनोनीत 12 विधायकों को लेकर लंबे समय से चल रहा गतिरोध आंशिक तौर पर समाप्त हो गया.
महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को अपने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी.
बैठक में मनोनीत विधायकों के लिए 12 नामों पर चर्चा की गई. इनमें से 7 नामों पर सहमति बनी और सात नामों की एक सूची राज्यपाल को भेजी गई थी.
मंगलवार को राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने मनोनीत विधायक के तौर पर मंजूरी दे दी.
आनन-फानन में इन लोगों को शपथ भी दिला दी गई.
शपथ लेने वाले विधायकों में चित्रा वाघ, विक्रांत पाटिल, महंत बाबूसिंह महाराज तीनों भाजपा के हैं. वहीं शिवसेना के हेमंत पाटिल और मनीषा कायंदे हैं. इनके साथ पंकज भुजबल और इदरीश इलियास नायकवडी दोनों एनसीपी के हैं.
कोर्ट पहुंचा था मामला
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी सरकार ने अपने 12 नाम तत्कालीन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को भेजे थे, लेकिन कोश्यारी ने उस पर निर्णय नहीं लिया था.
इसके बाद यह मामला कोर्ट पहुंचा था. वहां भी फैसला नहीं हो पाया था.
बाद में सत्ता परिवर्तन के बाद अस्तित्व में आई मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा भेजी गई सूची वापस मंगा ली थी.
महायुति सरकार पर बरसे मोदी
मनोनीत विधायकों द्वारा शपथ लिए जाने की जानकारी जैसी ही याचिकाकर्ता सुनील मोदी को हुई उसने महायुति सरकार पर हमला बोल दिया है.
उन्होंने कहा है कि सरकार संविधान और अदालतों का सम्मान नहीं करती, यह एक बार फिर साबित हो गया. दो साल पहले मैं राज्यपाल द्वारा नियुक्त 12 विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट गया था. फिर हाईकोर्ट आए. अब हाई कोर्ट में हमारी याचिका पर बहस पूरी हो गई है.
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस याचिका को फैसले के लिए सुरक्षित रखा है.
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि फैसले के रिजर्व होने के बाद ऐसे फैसले नहीं लिए जा सकते. यदि कोर्ट इन सबके खिलाफ फैसला देता है तो क्या ये सात लोग विधायक बन सकते हैं. सरकार द्वारा 48 घंटे में यह सब करना असंवैधानिक है. हम इस संबंध में हाईकोर्ट में रेफरेंस दाखिल करने जा रहे हैं.