धर्मातरण पर संसद गर्म
नई दिल्ली | एजेंसी: धर्मांतरण के मुद्दे पर गुरुवार को संसद में सत्ता तथा विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई. आगरा में कथित जबरन धर्मातरण के मुद्दे पर लोकसभा में गुरुवार को विपक्षी पार्टियों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह देश का ध्रुवीकरण करने और काला धन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे से ध्यान भटकाने की चाल है. चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार देश में ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है और इस मुद्दे पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग की.
उन्होंने कहा, “यह संविधान के खिलाफ है. यह मुख्य मुद्दों जैसे काला धन, रेल किराया वृद्धि तथा चीन की घुसपैठ से ध्यान भटकाना चाहती है. इसीलिए इसने ध्रुवीकरण के लिए इस अभियान की शुरुआत की है.”
सिंधिया ने कहा कि सरकार ने संविधान की सुरक्षा का संकल्प लिया है, लेकिन पिछले सात महीनों में ध्रुवीकरण इसका एजेंडा रहा है.
विपक्ष की तरफ से चर्चा शुरू करते हुए सिंधिया ने दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए दंगे का जिक्र किया और कहा, “दिल्ली में मुहर्रम के दौरान पहली बार ताजिया जुलूस निकालने को लेकर असुरक्षा का माहौल था. क्या हम समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “हम प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण चाहते हैं. प्रधानमंत्री से आपकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने राजधर्म निभाने को कहा है.”
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि यदि देश को मजबूत किया जाता है, तो जाति, पंथ और नस्ल आधारित भेदभाव अपने आप खत्म हो जाएंगे.
उन्होंने कहा, “किसी भी मुद्दे के साथ भेदभाव नहीं बरतने का हमें यह संकल्प लेना चाहिए.”
जनता दल-सेक्यूलर सदस्य तथा पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवगौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री का एजेंडा देश को आगे ले जाने का होना चाहिए.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता एम.सलीम ने कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री विकास की बातें करते हैं, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की घटनाएं उसके उलट हैं.
उन्होंने इसे ध्रुवीकरण का प्रयास बताते हुए कहा, “हमारा संविधान ऐसी घटनाओं की अनुमति नहीं देता.”
तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत रॉय ने कहा कि भगवतगीता हमें यह शिक्षा नहीं देती. उन्होंने कहा, “मैं अपना विचार किसी अन्य पर थोप नहीं सकता. राजनीतिक फायदे के लिए हमें इस तरह का विभाजनकारी रवैया छोड़ना होगा.”
राजस्थान से भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि धर्मातरण की घटनाएं मध्यकाल खासकर औरंगजेब के शासन के दौरान बेहद तेजी से हुईं.
उन्होंने कहा, “गांधीजी ने भी कहा था कि लालच देकर हिंदुओं को ईसाई बनाया जा रहा है.”
उन्होंने कहा, “धर्म बदलने वाले लोग अगर खुद ऐसा करना बंद कर दें, तो इस तरह की चर्चा की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.”
एक अन्य भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जबरन धर्मातरण का मुद्दा काफी पहले से है, जिसके समाधान की जरूरत है. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा, “वहां एक मस्जिद देखना बेहद पीड़ादायक है.”
उन्होंने कहा, “जबतक हम इन मुद्दों का समाधान नहीं निकालेंगे, हम इस मुद्दे का समाधान नहीं कर सकते.”
इससे पहले, कार्यवाही के दौरान आगरा में 300 मुस्लिमों का धर्मातरण कराकर उन्हें हिंदू बनाए जाने के मुद्दे पर हंगामा जारी रहा. लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की.
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के नजदीक जमा हो गए और सभी एकसाथ ‘मोदी सरकार होश में आओ’ और ‘हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई’ के नारे लगाने लगे.
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से धर्मातरण के मुद्दे पर चर्चा की मांग की.
उन्होंने कहा, “आपके पास प्रश्नकाल को स्थगित करने का पूरा अधिकार है. सरकार चर्चा के लिए तैयार है, कृपया इसकी अनुमति दें.”
इधर, समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, अन्यथा दंगे हो सकते हैं.
आगरा में कराए गए धर्मातरण का मुद्दा बुधवार को भी संसद में गूंजा था. विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को दोनों सदनों में उठाया.
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने आगरा के बाहरी इलाके में झुग्गी बस्ती में रह रहे 60 मुस्लिम परिवार के करीब 300 लोगों को कथित तौर पर बीपीएल कार्ड और जमीन का प्लाट देने का लालच देकर सोमवार को उनसे जबरन हिंदू कर्मकांड कराकर उनका धर्मातरण कराया था.
सदन की कार्यवाही इस हंगामे के बीच 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.
मुलायम ने जब दंगे की आशंका जताई तो सत्तापक्ष ने उनके बयान का कड़ा विरोध किया और उनसे अपने शब्द वापस लेने की मांग की.
इधर, संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि विपक्ष को सदन की कार्यवाही चलने देनी चाहिए और कार्यदिवस के लिए सूचित मुद्दे पर काम के बाद ही चर्चा हो सकती है.
इस पर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सबसे पहले धर्मातरण के मुद्दे पर चर्चा बेहद जरूरी है. यह बहुत ही संवेदनशील मामला है, इसलिए इस पर तत्काल चर्चा होनी चाहिए.”
तृणमूल कांग्रेस नेता सुल्तान अहमद ने भी कहा, “सभी कार्यो को रोककर इस पर चर्चा कराई जानी चाहिए.”