भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों के खिलाफ
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक कांग्रेस को अस्वीकार्य है. सोनिया ने इस बिल के माध्यम से देश के चुनिंदा उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. सोनिया गांधी के विरोध करने से इस बिल को राज्यसभा में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है जहां सत्तारूढ़ भाजपा की संख्या बल कम है. सोनिया गांधी ने शुक्रवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक पर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि सरकार ने सिर्फ आधा सच ही बताया है. सोनिया ने केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ऐसे किसी भी कानून का समर्थन कभी नहीं करेगी जो किसानों के लिए हितकर न हो.
गांधी ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को लिखे पत्र में कहा, “यह खेदजनक है कि गरीब किसानों और जरूरतमंद श्रमिकों के हित में आवाज उठाने वालों को मोदी सरकार राष्ट्र विरोधी बता रही है और कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है.”
नितिन गडकरी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष का सहयोग मांगने के लिए एक पत्र लिखा था, जिसके जवाब में सोनिया ने यह पत्र लिखा है.
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने पिछले साल दिसंबर में भूमि अधिग्रहण कानून-2013 को संशोधित करने के लिए एक अध्यादेश लागू किया था. सरकार इस संबंध में नया विधेयक पेश कर चुकी है. नए विधेयक का विपक्षी पार्टियां और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि यह किसान विरोधी और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है.
उन्होंने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण से किसानों की जाने वाली आजीविका और उन्हें होने वाली पीड़ा को समझने के कांग्रेस और भाजपा के तरीकों में बुनियादी अंतर है.
उन्होंने कहा, “किसान समर्थक होना विकास विरोधी होना नहीं है.”
उन्होंने कहा, “अपने पत्र में आप भूमि अधिग्रहण विधेयक में अपने द्वारा प्रस्तावित बदलावों को यह करकर सही ठहरा रहे हैं कि इससे ग्रामीण इलाकों, गरीबों, किसानों और मजदूरों के हितों और सिंचाई, रोजगार, औद्योगिक गलियारों और रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा.”
उन्होंने कहा, “अफसोसजनक यह है कि आप बिना किसी आधार के यह दावे कर रहे हैं. इन सभी मुद्दों पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और कांग्रेस का रिकॉर्ड किसी से भी पीछे नहीं है. अब यह व्यापक रूप से स्पष्ट हो चुका है कि आपकी सरकार किसान विरोधी और गरीब विरोधी है और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए वह समाज के कमजोर तबके के अधिकारों के साथ समझौता कर रही है.”
सोनिया ने अपने पत्र में लिखा, “इस मामले पर आपके दृष्टिकोण और प्रस्तावित विधेयक आपके उस दावे का मजाक बनाते हैं जिसमें आप कहते हैं कि आप किसानों के हित के लिए खड़े हैं.”
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि आपकी सरकार द्वारा लाए गए संशोधन 2013 के कानून को अक्षरश: नकारते हैं.
केंद्र सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पारित कराने में सफल रही है. राज्यसभा में इसे पारित कराने को लेकर सरकार आश्वस्त नहीं है और इसीलिए वह संयुक्त सत्र बुलाने पर विचार कर रही है.