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श्रम कानून राज्य सूची में शामिल हों: फिक्की

नई दिल्ली | एजेंसी: फिक्की ने शुक्रवार को सरकार से आग्रह किया है कि अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों को राज्य सूची में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए.

फिक्की ने यहां श्रम मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपे एक चार्टर में कहा है, “श्रम कानूनों को मौजूदा सूची से राज्य की सूची में डालने की जरूरत है, ताकि राज्य सरकारों को अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए श्रम नीतियां बनाने में अधिक आजादी मिल सके.”

फिक्की ने कहा है कि मौजूदा श्रम कानूनों ने रोजगार सृजन और उद्यमिता प्रतिस्पर्धा बाधित कर रखी है. फिक्की ने कहा है कि पिछले दशक में आठ प्रतिशत रोजगार वृद्धि का अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह लगभग 1.6 प्रतिशत ही रही.

चार्टर में कहा गया है, “श्रम कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए उन्हें चार नई श्रेणियों में बांट कर उन्हें संक्षिप्त और आसान बनाने की जरूरत है. और रोजगार की शर्ते औद्योगिक विवाद अधिनियम, औद्योगिक रोजगार अधिनियम और ट्रेड यूनियन अधिनियम के तहत लाई जाएं.”

इसी तरह वेतन से संबंधित कानूनों को न्यूनतम वेतन अधिनियम, वेतन भुगतान अधिनियम और बोनस भुगतान अधिनियम के तहत लाया जाना चाहिए.

कल्याण के मुद्दों से संबंधित कानूनों को कारखाना अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, मातृत्व लाभ अधिनियम, रोजगार मुआवजा अधिनियम और दिहाड़ी मजदूर अधिनियम के तहत लाया जाना चाहिए.

ठीक इसी तरह सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कानूनों को कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम और साथ ही कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम तथा ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के साथ जोड़ दिया जाना चाहिए.

चार्टर में कहा गया है, “श्रम कानूनों में कर्मचारी, उद्योग और वेतन की एक समान व्याख्या से मुकदमों की संख्या घटेगी.”

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