महंगाई-भ्रष्ट्राचार पर केजरीवाल ने खोला मोर्चा
नई दिल्ली | संवाददाता: कुछ दिनों की चुप्पी के बाद आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार के खिलाफ महंगाई को लेकर मोर्चा खोल दिया है. इसे अलावा केजरीवाल ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि भ्रष्ट्राचार पर कुछ नहीं किया जा रहा है जबकि भाजपा ने लोकसभा का चुनाव ही महंगाई और भ्रष्ट्राचार के मुद्दे पर लड़ा था.
प्रधानमंत्र को लिखी पाती में केजरीवाल ने उन्हें याद दिलाया है कि ‘‘चुनाव से पहले आपने देश के लोगों से वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद आप कीमतों में कमी लाएंगे और भ्रष्टाचार कम करेंगे. हालांकि पिछले एक महीने के दौरान, कीमतों में कमी लाने और भ्रष्टाचार पर काबू के लिए कदम उठाने के बदले कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है जिससे लोगों में नाराजगी है’’.
इसी के साथ केजरीवाल ने दिल्ली में आप पार्टी की सरकार द्वारा किये गये कामों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि “हमने दिल्ली में सरकार बनते ही भ्रष्टाचार में भारी कमी लाकर दिखाया था. मोदी सरकार को कीमत बढ़ाने की सोचने से पहले छह महीने-साल भर भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय करने चाहिए थे. हो सकता है कि इन प्रयासों के बाद कीमत बढ़ाने की जरूरत ही नहीं होती. अभी तो बढ़ा हुआ राजस्व भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा.”
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने सबसे पहले रेल किराये में वृद्धि करने की घोषणा की उसके बाद लाइन से चीनी तथा रसोई गैस के दामों में बड़ोतरी करने का तथा उन पर दी जाने वाले सब्सिडी को कम करने की मंशा जाहिर की. हालांकि, बुधवार को रसोई गैस के दामों में वृद्धि को तीन माह तक के लिये टाल दिया गया है परन्तु उसके बाद दाम बढ़ेंगे इसका संकेत दे दिया है. मोदी सरकार के एक माह पूरे होने के दिन लिखे गये इस पत्र में केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि “हमने पहले ही कहा था कि सरकार बनते ही ये गैस का दाम बढ़ाएंगे. अब यह आशंका सही होने जा रही है.”
गौरतलब है कि दिल्ली में आप की सरकार ने अपने शपथ ग्रहण के बाद ही बिजली के बिलों को आधा करने तथा मुफ्त पानी देने के वादे को निभाया था. केजरीवाल का सोचना है कि भ्रष्ट्राचार को कम करने से महंगाई भी कम हो जायेगी इसीलिये प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि ‘‘यह देखा गया है कि आपकी सरकार भ्रष्टाचार दूर किए बिना कीमतों में वृद्धि का सहारा ले रही है और इससे किसी समस्या का समाधान नहीं होगा. ऐसी वृद्धि से होने वाली आय में अनियमितता होगी.’’
रेल किराये में बढ़ोतरी करने के फैसले का विरोध करते हुए केजरीवाल ने आगे लिखा है कि ‘‘अच्छा होता कि आपकी सरकार रेल किरायों में वृद्धि को एक साल या कम से कम छह महीने के लिए टाल देती. इसके बदले रेलवे में भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाए जाते.’’ बहरहाल, लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद तथा अपने आम आदमी पार्टी में उठे अंतर्विरोधों का शमन करने के बाद केजरीवाल ने फिर से जनता के मुद्दों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.