केजरीवाल का सम-विषम फॉर्मूला
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: केजरीवाल ने दिल्ली के लिए सम-विषम कार फॉर्मूले की रूपरेखा जारी की है. जिसमें महिला चालकों, दोपहिया चालकों, आपात वाहनों व वीआईपी वाहनों सहित वाहनों की 25 श्रेणियों को छूट प्रदान की गई है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा कि सम-विषम कार फॉर्मूले को एक जनवरी से 15 दिनों के लिए पायलट आधार पर लागू किया जाएगा. यह नियम रविवार को छोड़कर सप्ताह के बाकी छह दिन सुबह आठ से रात आठ बजे तक लागू होगा. यह दिल्ली में प्रवेश करने वाले दूसरे राज्यों के वाहनों पर भी लागू होगा.
कई श्रेणियों के वाहनों को छूट दिए जाने की घोषणा पर पर्यावरणविदों ने निराशा जताते हुए कहा है कि इससे योजना विफल हो जाएगी, लेकिन कई अन्य लोगों ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए इस बात को हालांकि स्वीकार किया कि इससे वाहन चालकों को परेशानी होगी.
अधिकारियों ने कहा कि यह योजना केवल कारों पर लागू होगी, जो राजधानी में वाहनों की कुल संख्या का एक तिहाई है.
बसों, ट्रकों व अन्य वाणिज्यिक वाहनों को फॉर्मूले से बाहर रखा गया है.
दिल्ली सरकार के मुताबिक, विषम रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहनों का परिचालन विषम तारीख (1,5,7,9,11,13, व 15 जनवरी) के दिन जबकि सम रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहनों का परिचालन सम तारीख (2,4,6,8,12,14 जनवरी) को होगा. यह योजना 3 व 10 जनवरी को लागू नहीं होगी, क्योंकि इस दिन रविवार है.
केजरीवाल ने कहा कि नीति में दिल्ली उच्च न्यायालय व केंद्रीय गृह मंत्रालय व विशेषज्ञों के सुझावों को भी जगह दी गई है.
उन्होंने कहा, “हम दिल्लीवासियों से अपील करते हैं कि वे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सम-विषम फॉर्मूले को सफल बनाएं, क्योंकि यह खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है.”
दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंचने के बाद न्यायपालिका की बार-बार चेतावनी के बाद दिल्ली सरकार ने सड़कों पर वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने का फैसला लिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली एक गैस चैंबर जैसा बन गया है.
केजरीवाल ने संवाददाताओं को बताया, “सिर्फ महिला चालक और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ सफर कर रही महिलाओं को ही सम-विषम फॉर्मूले से बाहर रखा जाएगा. दोपहिया चालकों को भी इस सीमा से बाहर रखा गया है.”
उन्होंने इस फॉर्मूले का उल्लंघन करने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाने की भी घोषणा की.
दिल्ली में पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एन्वायरमेंट के विक्रांत तोंगाद ने कहा, “यह पहल अच्छी है, लेकिन पर्याप्त नहीं है. इससे बेहद कम लाभ होगा, क्योंकि कई वाहनों को छूट प्रदान की गई है. प्रतिबंध पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि ट्रक तथा बाइक प्रदूषण के सबसे बड़े साधन हैं.”
दिल्ली की प्रियांश जोशी ने कहा कि वे जल्द से जल्द अपने बाइक की मरम्मत कराएंगी. पर्यावरण के लिए ऐसा क्यों न करें?
वहीं, पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले अजय गौतम की चिंता कुछ और ही है. उनका कहना है, “इससे दिल्ली मेट्रो में भीड़ बढ़ेगी, जिससे पॉकेटमारी की घटनाओं में वृद्धि होगी.”
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के उपसभापति को इस फॉर्मूले से बाहर रखा जाएगा.
इस फॉर्मूले से जिन लोगों को बाहर रखा गया है, उनमें लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष, दिल्ली को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और लोकायुक्त शामिल हैं.
दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, “या तो मैं कार पुल करूंगा या बाइक की तरफ रुख करूंगा.”
केजरीवाल ने कहा, “लोकसभा उपाध्यक्ष, राज्यों के राज्यपाल, उपराज्यपाल, भारत के प्रधान न्यायाधीश और केंद्रीय मंत्री इससे बाहर रहेंगे.”
उन्होंने कहा कि आपातकालीन चिकित्सा के लिए अस्पताल जा रहे लोगों को भी इस दायरे से बाहर रखा गया है.
एंबुलेंस, दमकल वाहनों, जेल वैन, शव वाहनों और पुलिस के वाहनों को भी सम-विषम फॉर्मूले से बाहर रखा गया है.