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कौशल विकास में छत्तीसगढ़ के आदिवासी ज़िले पीछे

रायपुर | संवाददाता: सुकमा के देव वड्डे इस बात से नाराज़ हैं कि उन्हें सरकार ने हैदराबाद का काम छुड़वा कर, प्रशिक्षण के बाद नौकरी देने की बात कही थी. लेकिन दो साल बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली और वे दुबारा हैदराबाद मज़दूरी करने के लिए जा रहे हैं.

देव वड्डे उन हज़ारों लोगों में से हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण लिया था. उम्मीद थी कि उन्हें जल्दी ही नौकरी भी मिल जाएगी. लेकिन ये उम्मीदें धरी रह गईं.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाके पीछे रह गये हैं. हालत ये है कि बस्तर संभाग के कुछ ज़िलों में कौशल विकास योजना का लाभ एक हज़ार लोगों को भी नहीं मिल पाया है.

जिन्हें प्रशिक्षण मिल भी गया, उनमें से भी अधिकांश लोगों को कोई काम नहीं मिल पाया है.

राज्य सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत अब तक 1,72,625 उम्मीदवार लाभान्वित हुए हैं.

लेकिन इस आंकड़े को देखें तो पता चलता है कि राज्य के आदिवासी बहुल सुकमा ज़िले में इस योजना के अंतर्गत केवल 973 लोगों को प्रशिक्षण का लाभ मिला है.

इसी तरह आदिवासी बहुल बीजापुर ज़िले में केवल 932 लोगों को प्रशिक्षण मिल पाया.

पड़ोसी आदिवासी बहुल ज़िले कोंडागांव में भी यह संख्या 1186 थी.

गरियाबंद ज़िले में केवल 1318 लोगों को ही कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण का लाभ मिल पाया.

नौकरी मिली ही नहीं

कौशल विकास योजना के विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत, पूर्व शिक्षण मान्यता के तहत अल्पावधि प्रशिक्षण के तहत प्रशिक्षित लोगों में से अधिकांश को नौकरी ही नहीं मिली.

अल्पावधि प्रशिक्षण यानी एसटीटी के तहत राज्य के 86,572 लोगों को प्रशिक्षण मिला. इनमें से केवल 14,936 को ही काम मिल पाया.

एयरोस्पेस और विमानन में कुल 120 लोगों को प्रशिक्षित किया गया. लेकिन इनमें से एक भी व्यक्ति को नियोजित नहीं किया जा सका.

इसी तरह घरेलू मज़दूर के तौर पर 210 लोगों को प्रशिक्षित किया गया. लेकिन इनमें से किसी को काम नहीं मिल पाया.

यही हाल हस्तशिल्प और कालीन प्रशिक्षण का रहा. हस्तशिल्प और कालीन के अंतर्गत 360 लोग प्रशिक्षित हुए. लेकिन दिसंबर तक इनमें से किसी का नियोजन नहीं हो सका.

लोहा और इस्पात में 150, इंफ्रास्ट्रक्चर उपकरण में 180, खुदाई में 180 लोगों को प्रशिक्षित किया गया. लेकिन इनमें से किसी का भी नियोजन नहीं किया गया.

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