भूकंप में ढह गये काठमांडू की धरोहर
काठमांडू | एजेंसी: पयर्टकों को आकर्षित करने वाले नेपाल के अधिकांश प्रचीन धरोहर ढह गयें हैं. इन्हें बनाने में कम से कम 10 साल का समय लगेगा. भारत जैसे कुछ देशों ने नेपाल के इन प्राचीन धरोहरों का दुबारा निर्माण करने में सहयोग देने की बात की है. नेपाल में पिछले सप्ताह आए विनाशकारी भूकंप में काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर की 90 प्रतिशत प्राचीन विरासतें नष्ट हो गई हैं. इनका दोबार निर्माण करने में कम से कम सात से दस साल का समय लगेगा. नेपाल के पुरातत्व विभाग ने यह जानकारी दी. ये प्राचीन धरोहर स्थल और स्मारक अपनी उत्तम दर्जे की वास्तुकला शैली के साथ ही इन तीनों शहरों के आकर्षण का केंद्र थे.
मंदिरों के शहर के रूप में विख्यात काठमांडू दशक पुरानी बसंतपुर दरबार और नौ मंजिला धराहरा टॉवर के नष्ट होने के साथ अपने इस गौरव को खो दिया है. पशुपतिनाथ मंदिर का परिसर और स्वयंभूनाथ क्षेत्र जैसे कई धार्मिक स्थलों को भी क्षति पहुंची है.
काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर में पुराने स्मारक, मंदिर और प्राचीन धरोहर या तो नष्ट हो गए हैं या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं.
पुरातत्व विभाग के महानिदेशक भेष नारायण दहाल ने कहा कि भूकंप में दर्जनभर मंदिर और स्थान नष्ट हो गए हैं.
उन्होंने कहा, “हमने अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित काठमांडू घाटी के गौरव को खो दिया है. विभाग ने सभी स्मारकों, विरासत स्थलों, मंदिरों और अन्य प्राचीन वास्तुकलाओं की पहचान करनी शुरू कर दी है.”
हालांकि विभाग ने निष्कर्ष निकाला है कि काठमांडू की 90 प्रतिशत प्राचीन विरासत नष्ट हो गई हैं, लेकिन अभी यह पता नहीं चल सका है कि इनके दोबारा निर्माण में कितनी धनराशि लगेगी.
उन्होंने कहा कि कुछ प्राचीन इमारतों और स्मारकों को तत्काल मरम्मत की जरूरत है. क्योंकि इन्हें ढहने से लोगों को खतरा हो सकता है.
भारत जैसे कुछ देशों और सहायता एजेंसियों ने नेपाल की विरासत को दोबारा निर्मित करने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन नेपाल सरकार द्वारा अभी इस पेशकश को स्वीकार करना बाकी है.