बॉलीवुड का ‘कुंवारा बाप’
जेके कर
बॉलीवुड के करण जौहर ‘कुंवारा बाप’ बन गये हैं. उन्होंने इसी हफ्ते सोशल मीडिया पर इसका खुलासा किया है. करण जौहर की शादी नहीं हुई है तथा वह ‘किराये की कोख’ से जुड़वा बच्चों के पिता बन गये हैं. सबसे दिलचस्प बात है कि ‘किराये की कोख’ के अलावा अंडाणु भी खरीदा हुआ है. करण जौहर खुद नहीं जानते किये किस महिला के अंडाणु से उसके बच्चें हुये हैं. खरीदे हुये अंडाणु को ‘किराये की कोख’ से जन्म दिया गया है. इससे पहले बॉलीवुड में ही 2016 में तुषार कपूर भी ‘कुंवारा बाप’ बने थे.
साल 1974 में बॉलीवुड में एक फिल्म आई थी, ‘कुंवारा बाप’. जिसमें हास्य कलाकार महमूद एक रिक्शा चालक के किरदार में थे. उन्होंने मंदिर के सामने से लावारिस पड़े एक बच्चे को उठाकर घर ले आया था. इस फिल्म में एक गाना भी था..बिन मां का बच्चा..हां जी. पूरी फिल्म ही उस लावारिस बच्चे तथा महमूद पर केन्द्रित थी.
दरअसल, चिकित्सा विज्ञान ने पिछले कुछ सालों में तेजी से प्रगति की है. अब जो महिला मां नहीं बन सकती है उसके अंडाणु तथा उसके पिता के शुक्राणु को लेकर किसी और महिला की कोख से बच्चे को जन्म दिया जा सकता है. इसे विज्ञान की देन कहना चाहिये कि चिकित्सीय समस्या होने के बावजूद भी एक पति-पत्नी के जीवन में संतान आ सकती है. उनकी खुद की संतान.
इसके अलावा, विज्ञान इतना सक्षम हो गया है कि यदि पिता के शुक्राणु या माता के अंडाणु में कोई समस्या हो तो किसी दूसरे का लेकर वह महिला मां बन सकती है या किसी और महिला की कोख से उस बच्चे का जन्म कराया जा सकता है.
हालिया घटना इन दोनों से अलग है. करण जौहर विज्ञान के चमात्कार के भरोसे जरूर पिता बन गये हैं परन्तु जब बच्चे बड़े होंगे तो करण जौहर उन्हें उनकी मां का क्या नाम बतायेंगे. जाहिर है करण जौहर को चिकित्सा विज्ञान के करामात का वर्णन करना पड़ेगा. लेकिन क्या इसे सामाजिक रूप से सही कहा जा सकता है. क्या यदि इसी परंपरा को जारी रखा जाये तो वह समाज को मान्य होगा?
बेशक, विज्ञान का अर्थ ही है कि नई-नई चीजों का आविष्कार तथा खोज. जिसकी बदौलत मानव जीवन को उन्नत बनाया जा सके. लेकिन यदि यही चमत्कार सामाजिक ताने-बाने को बिखेर दे तो उसका क्या औचित्य है. किसी भी खोज या आविष्कार को दायरे में ही रखे जाने की जरूरत है. क्या आप हर सक्षम को परमाणु बम बनाने की अनुमति देने को तैयार है.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल केन्द्र सरकार ने इस मामले में एक बिल पेश किया था. जिसके अनुसार कोई सिंगल पैरेंट ‘किराये की कोख’ का उपयोग नहीं कर सकता है. सरोगेसी या ‘किराये की कोख’ से वहीं पैरेंट बन सकते हैं जिन्होंने भारतीय कानून के मुताबिक शादी की हो. यह बिल संसदीय समिति के पास है. इस बिल के कानून बन जाने के बाद कोई सिंगल पैरेंट सोरगेसी का उपयोग नहीं कर पायेगा.
Kunwara Baap- Saj Gai Gali