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कमल शुक्ला का देशद्रोह और राष्ट्रपति की चिट्ठी

रायपुर | संवाददाताः बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला की गिरफ़्तारी तय मानी जा रही है. उसके पीछे सबसे बड़ा कारण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यालय की वह चिट्ठी है, जो राज्य सरकार को भेजी गई थी और जिसके बाद राज्य सरकार ने कमल शुक्ला के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया. सरकार के लिये मुश्किल ये है कि उसने आनन-फानन में धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन विधि विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार यह मामला देशद्रोह की श्रेणी में आता ही नहीं है.

गौरतलब है कि कमल शुक्ला पर जस्टिस लोया के मामले में कथित रुप से एक अपमानजनक कार्टून फेसबुक पर शेयर करने का आरोप है. हालांकि फेसबुक ने वह कार्टून हटा लिया है. लेकिन इसके बाद राजस्थान के एक व्यक्ति की कथित शिकायत पर पुलिस ने कमल शुक्ला के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया है.

इस मामले का दिलचस्प पहलू ये है कि राजस्थान के जिस व्यक्ति पुनीत जांगिर की इस कार्टून से ‘भावना आहत’ हो गई थी, उसने राज्य सरकार को सीधे कोई शिकायत नहीं की थी, जैसा कि कांकेर पुलिस दावा करती रही है. असल में 20 अप्रैल 2018 को यह कार्टून फेसबुक पर साझा किया गया था, जिसे कमल शुक्ला ने 21 अप्रैल को अपनी वॉल पर शेयर किया. इस कार्टून को शेयर करने वालों की संख्या हज़ारों में थी लेकिन शिकायतों के बाद फेसबुक ने वह कार्टून खुद ही ‘ब्लॉक’ कर दिया.

इस मामले में पुनीत जांगिर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिख कर इस मामले में कार्टून शेयर करने वाले के खिलाफ़ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया. जिसके बाद राष्ट्रपति भवन ने छत्तीसगढ़ सरकार को चिट्ठी लिख कर इस मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिये कहा. मामला राष्ट्रपति भवन की चिट्ठी का था, इसलिये पुलिस ने 28 अप्रैल को कांकेर थाने में 0156/18 क्रमांक में धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया और जांच की कार्रवाई भी शुरु कर दी.

सूत्रों का कहना है कि कमल शुक्ला के मामले में पुलिस यह कोशिश कर रही है कि भावनाओं को आहित करने वाला कार्टून फेसबुक से बरामद किया जाये या फिर इसी कार्टून से संबंधित हैदराबाद के मामले के दस्तावेज़ हासिल किये जायें. ऐसा होते ही पुलिस के पास गिरफ़्तार करने का प्राथमिक आधार बन जायेगा.

हालांकि हाईकोर्ट में कमल शुक्ला के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और कमल शुक्ला की गिरफ्तारी को रोकने के लिये याचिका दायर करने वाले कमल शुक्ला के वकील का कहना है कि पुलिस ने दुर्भावनावश कमल शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के 1962 सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अभी हाल ही में कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण मानते हुये फैसले दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनज़र यह मामला देशद्रोह की श्रेणी में नहीं आता.

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