मोदी अच्छे लगते हैं: जॉन केरी
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: जॉन केरी को मोदी का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ भा गया है. अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी अमरीकी थिंक टैंक सेंटर फॉर अमरीकन प्रोग्रेस के समारोह को संबोधित कर रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी के ‘भगवा क्रांति’ को क्लाइमेट चेंज से जोड़ते हुए जॉन केरी ने कहा कि भगवा रंग ऊर्जा का रंग है. उन्होंने मोदी का उद्धरण देते हुए कहा कि इस भगवा क्रांति से अपारंपरिक स्त्रोतों से मोदी ऊर्जा लायेंगे.
अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी के अपनी भारत यात्रा के ठीक एक दिन पहले कहे इस बात के कई निहितार्थ है. इससे साफ है कि अमरीका, अब मोदी के भारत को अपने साथी के तौर पर देख रहा है. वास्तव में अमरीका को मोदी नहीं, भारत के बाजार की जरूरत है. जिसके लिये उसकी प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद है कि वे इसके लिये अनुकूल वातावरण बनाने की क्षमता रखते हैं. गौरतलब है कि मोदी ने चुनाव में युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया था. जिसका मतलब है कि मोदी, लंबे समय तक सत्ता में टिक सकते हैं.
ज्ञात्वय रहे कि मैकेंजी एंड कंपनी के अनुमान के अनुसार भारत का मध्यम वर्ग करीब 160 मिलियन का है जो 2015 तक 267 मिलियन का हो जायेगा. इसकी तुलना में अमरीका की कुल आबादी ही 311 मिलियन की है. भारत के मध्यम वर्ग का 160 मिलियन से बढ़कर 267 मिलियन हो जाने का अर्थ है कि भारत एक विशाल बाजार है जिसमें अभी लगातार वृद्धि होती जायेगी.
यही वह कारण है कि जिस अमरीका ने नरेन्द्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री रहते वीजा देने से इंकार कर दिया था, आज उसे उसी मोदी की हर बात भा रही है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में वहां के विदेश मंत्री जॉन केरी ने अमरीकी थिंक टैंक सेंटर फॉर अमरीकन प्रोग्रेस में ये कसीदे पढ़े हैं. जाहिर है कि जहां पर अमरीकी अपने विकास के बारे में सुनने के लिये जमा हुए हैं वहां से बेहतर कौन सी जगह हो सकती है जहां प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों तथा नारे की प्रशंसा की जाये.
यह बात जगजाहिर है कि अमरीका की विदेश नीति की दिशा तय करने में वहां के बड़े व्यापारिक नैगमों का दखल होता है. यही कारण है कि जिस देश के जमीन के नीचे तेल है वहां पर अमरीकी फौजे किसी न किसी कारण से तैनात हैं. यूं तो, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी अमरीका की पसंदीदा राजनेताओं की सूची में थे परन्तु अब सत्ता में बदलाव के बाद अमरीका के लिये जरूरी हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी से निकटता बढ़ाये जिसका लाभ वहां के बड़े कारोबारियों को मिले जिनकी नजर भारत के विशाल बाजार पर है.