अमरीका चाहे मोदी का साथ
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी का भारत आने का उद्देश्य प्रधानमंत्री मोदी के साथ अमरीकी संबंधों को बढ़ाना है. इसकी झलके जॉन केरी के भारत आने से पहले के उस भाषण से मिलती है जिसमें उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी सरकार के नजरिए ‘सबका साथ, सबका विकास’ का वाशिंगटन समर्थन करना चाहता है.
इसी भाषण में जॉन केरी ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘भगवा क्रांति’ का भी समर्थन किया है. भगवा क्रांति को जॉन केरी ने ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत के प्रतीक के तौर पर माना है.
अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी के बुधवार से भारत दौरे पर रहने के दौरान वाशिंगठन, भारत की नई सरकार के साथ उच्चस्तरीय संपर्क गांठने का प्रयत्न करेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजिरए का समर्थन करेगा. माना जा रहा है कि केरी के आगमन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सितंबर में होने वाली अमरीका यात्रा की तैयारी भी शुरू हो जाएगी.
केरी ने सोमवार शाम को कार्यक्रम में कहा कि भारत की नई सरकार का आधार स्पर्श करते हुए वह ‘उन अवसरों पर जोर देंगे’ जिसमें अमरीका और भारत अभिन्न साझेदार हो सकते हैं.
केरी 31 जुलाई को होने वाली भारत-अमरीका रणनीतिक संवाद की पांचवीं बैठक की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सह-अध्यक्षता करेंगे.
भारत दौरे पर उनके साथ व्यापार मंत्री पेन्नी प्रित्जकेर भी आएंगे. मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा की वाशिंगटन में होने वाली मुलाकात की तैयारियों के सिलसिले में रक्षा मंत्री चुक हेगल अगले महीने आने वाले हैं.
विदेश विभाग की प्रवक्ता जेनिफर पसाकी ने एक बयान में कहा है कि रणनीतिक वार्ता करने के अलावा केरी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे. भारत में नई सरकार के गठन के बाद अमरीकी सरकार के कबीना स्तर के पहले अमरीकी अधिकारी की यह मुलाकात होगी.
अमरीकी थिंक टैंक सेंटर फॉर अमरीकन प्रोग्रेस में अपने संबोधन के दौरान केरी ने मोदी का 11 बार नाम लिया. उन्होंने कहा, “भारत की नई सरकार की योजना ‘सबका साथ सबका विकास’ एक विचार है, एक दृष्टिकोण है जिसका हम समर्थन करना चाहते हैं.”
केरी ने कहा, “हम मानते हैं कि यह एक महान दृष्टिकोण है और भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवन में हमारे निजी क्षेत्र उत्प्रेरक बनने के लिए उत्सुक हैं.”
‘भारत और अमरीका : 2020 और उससे आगे के लिए साझा दृष्टिकोण’ विषय पर अख्यान देते हुए केरी ने 26 मई को शपथ लेने के मौके पर मोदी द्वारा दक्षिण एशियाई नेताओं को निमंत्रित किए जाने का उल्लेख किया.
उन्होंने कहा कि जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात को समझ चुके हैं कि क्षेत्रीय संपर्क भारत और क्षेत्र को अधिक स्थायित्व और समृद्धि का अवसर मुहैया कराएगा.
जिस मोदी को अमरीका ने कभी वीजा देने से इंकार कर दिया था उसी मोदी के देश के प्रधानमंत्री बनने से अमरीकी दृष्टिकोण में बदलाव आया है.