जोगी के ‘हैलिकाप्टर शाट’ के बाद रमन की ‘इन स्विंग’
विश्वेश ठाकरे
राजनीति की पिच पर इन दिनों रोचक मैच चल रहा है. जोगी की जाति की छानबीन कर रही राज्य सरकार की हाईपावर कमेटी ने अपना अप्रत्याशित फैसला सुना दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी आदिवासी कंवर नहीं हैं. इतना ही नहीं हाईपावर कमेटी ने जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने की अनुशंसा कर दी और कलेक्टर बिलासपुर ने तीसरे ही दिन जोगी का जाति प्रमाण पत्र रद्द भी कर दिया.
इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि इसी प्रदेश सरकार ने इसी जाति मामले की जांच को कई सालों तक लंबा खींचा था. जांच में जानबूझकर कई गलतियां की थी. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने ऐन चुनाव से पहले सितंबर 2013 में हाईकोर्ट में जमा की गई जोगी जाति मामले की रिपोर्ट भी वापस ले ली थी.
इसके बाद यह समझा जाने लगा था कि भाजपा सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह इस अधूरी जांच के जरिए जोगी को दबाव में रखना चाहती है और कांग्रेस में मतभेद का जोगी के जरिए राजनीतिक लाभ लेना भी चाहते हैं.
कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष भूपेश बघेल तो कई बार खुलकर ये आरोप लगा चुके हैं कि अजीत जोगी ने कांग्रेस में रहते हुए मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के लिए काम किया और भीतरघात से कई कांग्रेस प्रत्याशियों को हराकर भाजपा की सरकार बनाने के लिए मदद की है.
जोगी इन आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे हैं. अब जब हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट में जोगी को आदिवासी नहीं माना गया है तो सवाल खड़ा होता है कि क्या अब डाक्टर रमन सिंह को या भाजपा को अजीत जोगी के प्रभाव की जरूरत नहीं है या इसके पीछे और कोई रणनीति है.
कुछ जानकारों का मानना है कि इस रिपोर्ट की पृष्ठभूमि के पीछे जोगी का हैलिकाप्टर शाट है. दरअसल जून में जोगी ने हैलिकाप्टर किराए पर लेकर प्रदेश में दौरे शुरू किए हैं. इससे पहले भी उन्होंने गुरु घासीदास जयंती के दौरान एक माह तक हैलिकाप्टर के जरिए प्रदेश में 100 से अधिक सभाएं की थीं. 21 जून 2016 को जब अजीत जोगी ने नई पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया तो सबके मन में सवाल था कि क्या पार्टी 2018 के विधानसभा चुनाव तक सस्टेन करेगी साथ ही एक और सवाल था कि पार्टी को चलाने के लिए पैसे कहां से आएंगे.
अब जब पार्टी के गठन को एक साल पूरे हो गए हैं तो यह तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस संक्षिप्त में कहें तो जोगी कांग्रेस ने बखूबी सस्टेन किया है और खर्चे की चिंता नहीं है; के स्टाइल में काम किया है. अब जब यह मात्र एक वर्षीय पार्टी दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को टक्कर देने के स्तर के प्रोग्राम कर रही है तो एक नया सवाल लोगों के मन में कुलबुला रहा है कि पैसा कहां से आ रहा है. वो भी इतना पैसा कि 10 करोड़ रुपए का हैलिकाप्टर भी खरीद लिया गया है लेकिन जोगी जी ने हैलिकाप्टर को किराये का बताया है.
जिस खुले हाथ से छजका खर्च कर रही है, उसने यह स्वाभाविक संदेह उत्पन्न कर दिया है कि क्या यह पैसा सत्ताधारी दल की ओर से जोगी को मिल रहा है, जिससे कि आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर नुकसान पहुंचा सके और भारतीय जनता पार्टी व डाक्टर रमन सिंह का चौथी बार सत्ता में आना तय हो जाए. यह संदेह जनता के साथ साथ भाजपा के भी कई लोगों के मन में है. लेकिन यह सब संदेह और अफवाहों की शक्ल में ही है और जोगी इसे लगातार खारिज करते रहे हैं.
लेकिन इस संदेह को हवा देते हैं कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल जो कि कहते हैं कि छजका, डाक्टर रमन सिंह की बी टीम है. हालांकि यही बात अजीत जोगी भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली प्रदेश कांग्रेस को लेकर भी कहते हैं कि भूपेश, रमन सिंह के इशारों पर चलते हैं. अमित जोगी हाल ही में कह चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच पायल और पैर जैसे रिश्ते हैं. दूसरी ओर भाजपा के एक गुट ने तो बकायदा दिल्ली और नागपुर स्तर पर इस बात की शिकायत भी की है कि डाक्टर रमन सिंह, जोगी की मदद कर रहे हैं. ऐसी शिकायत करने वाले बतौर सबूत जोगी की जाति मामले में राज्य सरकार की चुप्पी को पेश करते रहे हैं.
इस गुट ने दबी जबान से यह भी आरोप ऊपर तक पहुंचाए कि अजीत जोगी को सरकार की ओर से आर्थिक मदद भी मिल रही है. आरोप लगा कि इसी आर्थिक मदद का नतीजा है कि पिछले 14 साल से सत्ता से बाहर अजीत जोगी को या उनकी एक साल पहले बनी उनकी पार्टी को कभी आर्थिक तंगी में नहीं देखा गया.
ऐसा कहा जाता है कि पिछले माह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब प्रदेश दौरे पर थे तो कुछ भाजपा नेताओं, आरएसएस लीडर्स से उन्होंने अजीत जोगी और उनकी पार्टी के संबंध में पूछताछ की थी. इन नेताओं ने खुले तौर पर शाह को यह बता दिया कि प्रदेश में यह चर्चा है कि जोगी को डाक्टर रमन मदद करते हैं और यह मदद फंडिंग के रूप में भी है. इस बार बतौर सबूत जोगी के हैलिकाप्टर से यात्राएं और हैलिकाप्टर खरीद लेना बताया गया. ऐसी परिस्थिति में पार्टी के नीति निर्धारकों ने यह खतरा भी बताया कि यदि ऐसा हो रहा है और अभी अजीत जोगी की ऐसी मदद ली जा रही है तो आने वाले समय में हमारी ही मदद और हमारे ही पैसे से जोगी हमारे ही खिलाफ बड़ी ताकत बन जाएंगे.
अब ऐसे माहौल में प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार और स्वयं सीएम डाक्टर रमन सिंह के लिए यह जरूरी हो गया था कि वो जोगी से किनारा करने वाला सबूत छत्तीसगढ़ की जनता और भाजपा आलाकमान के सामने पेश करें. यह सबूत पेश किया गया हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट में जोगी को आदिवासी नहीं बताकर और अजीत जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर. हालांकि रमन सिंह ने सफाई दी है कि यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के इशारे पर हुआ है और इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है.
फिलहाल तो सरकार ने यह संकेत दे दिए हैं कि अब वो ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे यह लगे कि वो जोगी को किसी तरह की राहत देना चाहती है, लेकिन यह अभी की स्थिति है. 2018 के चुनाव आते आते कैसी स्थितियां बनेंगी. अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी की जाति मामले में जो करीब आधा दर्जन याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हैं उनके फैसले किस तरह होंगे. चुनावी साल तक छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का रूप क्या होगा, इंडियन नेशनल कांग्रेस में क्या परिवर्तन होगा औऱ चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा तय होना बाकी है…इन्हीं सभी बातों के साथ तय होगा कि सरकार के जोगी के साथ संबंध कैसे होंगे…क्योंकि राजनीति में अपना-पराया महज वक्त वक्त की बात होती है.