फिर शुरु हुई जोगी की जाति की जांच
रायपुर | संवाददाता: मरवाही में चुनाव की चर्चा के बीच जोगी परिवार की जाति का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले की ज़िला स्तरीय कमेटी ने अब छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता अमित जोगी की जाति की जांच शुरु कर दी है.
ज़िला स्तरीय जांच कमेटी ने अमित जोगी को भाजपा नेता समीरा पैकरा और संतकुमार नेताम की दो अलग-अलग शिकायतों के आधार पर जांच शुरु की है. दोनों नेता पहले भी इस मुद्दे को अदालत तक ले कर जा चुके हैं.
इन दोनों नेताओं की शिकायत के बाद ज़िला स्तरीय जाति छानबीन समिति ने अमित जोगी को 10 जुलाई को प्रस्तुत हो कर अपना पक्ष रखने के लिये कहा है. हालांकि अमित जोगी का कहना है कि उन्हें अब तक इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली है. लेकिन अगर उन्हें कहीं अपना पक्ष रखना होगा तो वे इसके लिये तैयार हैं.
अमित जोगी की जाति की जांच ऐसे समय में शुरु हुई है, जब छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही सीट से अमित जोगी के चुनाव लड़ने की बात कही है. माना जा रहा है कि अमित जोगी को किसी भी तरह इस चुनाव से दूर करने की कोशिश की जा रही है.
अजीत जोगी भी जाति में उलझे रहे
पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष बनवारी लाल अग्रवाल ने 11 जुलाई, 2002 को अजीत जोगी के विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र लेने का आरोप लगाते हुये जनहित याचिका दायर की थी. उस समय इस मामले में तत्कालीन न्यायमूर्ति पी.सी. नायक और न्यायमूर्ति फखरूद्दीन की अदालत ने अपने आदेश में इसकी सुनवाई से बिना कोई कारण बताए इनकार कर दिया था.
लगभग 10 साल बाद हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील कुमार सिन्हा ने पूर्व में अजीत जोगी का वकील होने का हवाला देते हुये अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था.
इससे पहले 13 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को आदेश दिया था कि वह अजीत जोगी की जाति के पूरे मामले की हाई पावर कमेटी से जांच कराये. अदालत ने कहा था कि अजीत जोगी की जाति पर निर्णय राज्य-स्तरीय छानबीन समिति सर्वोच्च न्यायालय द्वारा माधुरी पाटिल प्रकरण में निर्धारित विधि के अनुसार करेगी और अपनी रिपोर्ट 3 महीने के अन्दर उसे सौपेगी. इसके बाद अजीत जोगी ने अदालत के इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी. मामला अदालत की कार्रवाइयों में उलझा रहा.
इस बीच जून 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने अजीत जोगी के जाति संबंधी दावे खारिज कर दिया. रीना बाबा साहेब कंगाले की कमेटी ने जोगी के आदिवासी होने संबंधी दस्तावेज़ों को उचित और पर्याप्त नहीं माना. इसी रिपोर्ट को आधार बना कर बिलासपुर ज़िला प्रशासन ने अजीत जोगी के आदिवासी होने संबंधी प्रमाण पत्र को भी खारिज कर दिया. लेकिन जब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो हाईकोर्ट ने तकनीकि आधार पर रीना बाबा साहेब कंगाले की रिपोर्ट को खारिज कर दिया. इसके बाद से ही नई कमेटी द्वारा जांच कराये जाने की अटकलें चल रही थीं.