j&k के गवर्नर अंतहीन प्रतीक्षा करेंगे?
जम्मू/श्रीनगर | समाचार डेस्क: अब सवाल करने का समय आ गया है कि क्या जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सरकार गठन के लिये अंतहीन प्रतीक्षा करते रहेंगे? जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के और सख्त हुए रवैये और विश्वास बहाली के उपाय करने की मांग के बाद राज्य में सरकार के गठन का मामला और मुश्किल में पड़ता दिख रहा है.
वे लोग जो राज्य को मध्यावधि चुनाव से बचाने के लिए वैकल्पिक गठबंधनों के बारे में सोच रहे थे, उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं.
दोनों विपक्षी दलों नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने राज्य में नई सरकार के गठन में अपनी किसी भी तरह की भूमिका की संभावना को खारिज किया है.
नेशनल कांफ्रेंस के एक नेता भाजपा की तरफ से मिले संकेतों की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा, “हम इस सबसे बाहर हैं. हम राज्य में सत्ता बनाने में किसी भी राजनैतिक गठबंधन का समर्थन करने या इसमें शामिल नहीं होने जा रहे हैं. हमें इसके लिए जनादेश नहीं मिला है.”
इससे पहले महबूबा ने यह आश्वासन चाह कर अपने रुख को और कड़ा करने का संकेत दिया कि पीडीपी-भाजपा एजेंडे पर अमल के लिए केंद्र सरकार एक निश्चित समय सीमा तय करे.
पीडीपी अध्यक्ष ने मंगलवार को जम्मू में राज्यपाल एन.एन.वोहरा से कहा, “यह पीडीपी या भाजपा का मसला नहीं है. केंद्र को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों के सामने मौजूद समस्याओं को हल करने के लिए विश्वास बहाली के उपायों का ऐलान करना ही चाहिए.”
उन्होंने कहा कि 7 जनवरी को मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन से पैदा हुए शून्य को विश्वास बहाली के इन उपायों से भरा जा सकता है. महबूबा ने पूछे जाने पर यह भी बताया कि इस बात को केंद्र तक उनकी पार्टी पहुंचा चुकी है.
पीडीपी के सूत्रों ने बताया कि यह बात केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा महासचिव राम माधव को बताई जा चुकी है.
महबूबा ने यह नहीं कहा कि पीडीपी-भाजपा का गठबंधन खत्म हो चुका है. उन्होंने सिर्फ यह कहा कि दोनों दलों के गठबंधन का एक एजेंडा है. हम केवल उस पर अमल चाहते हैं.
पीडीपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा, “इसके बाद से हमें दिल्ली से कुछ सुनने को नहीं मिला है. एक फोन तक नहीं आया. इन हालात में वह लोगों से एक मुख्यमंत्री के रूप में कैसे मिल सकती हैं.”
दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि गठबंधन के एजेंडे पर पुनर्विचार करने के लिए 10 महीने का समय काफी कम है.
जम्मू में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “पीडीपी खुद एजेंडे को एक पवित्र दस्तावेज मानती है. एक पवित्र दस्तावेज पर 10 ही महीने में कैसे पुनर्विचार हो सकता है? हम इसके अक्षरश: पालन के लिए कटिबद्ध हैं. लेकिन, मौजूदा अनिश्चितता को बनाए रखकर हम पर दबाव डालने से कुछ नहीं हासिल होगा.”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इन अनुमानों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस और पीडीपी का गठबंधन हो सकता है.
उन्होंने बुधवार को जम्मू में कहा, “पीडीपी-भाजपा का गठबंधन है. ये उनकी जिम्मेदारी है कि वे राज्य को नई सरकार दें. लोग निर्वाचित सरकार चाहते हैं. जहां तक हमारा सवाल है तो हम किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.”
भाजपा ने सरकार गठन पर अंतिम फैसला सुनाने के लिए राज्यपाल से 10 दिन का समय मांगा है.
ऐसे राजनैतिक गतिरोध के बीच राज्यपाल इस बात के लिए अंतहीन प्रतीक्षा नहीं कर सकते कि दलों के गठबंधन सामने आएंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.