राष्ट्र

जयललिता की जमानत याचिका खारिज

बेंगलुरू | एजेंसी: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. जमानत नहीं मिलने की खबर के बाद जश्न मना रहे एआईडीएमके समर्थकों की खुशी काफूर हो गई क्योंकि पहले पार्टी के ही एक वकील ने कहा था कि उन्हें सशर्त जमानत मिल गई है. जयललिता की याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति ए.वी. चंद्रशेखर ने इसे खारिज करने के साथ-साथ तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री को मिली चार साल कैद की सजा को निलंबित करने की मांग करने वाली याचिका पर भी सुनवाई से इंकार कर दिया जबकि विशेष लोक अभियोजक जी. भवानी सिंह ने अदालत में कहा था कि उन्हें जमानत पर कोई आपत्ति नहीं है.

न्यायाधीश ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है, “सजा को निलंबित करने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भ्रष्टाचार मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है और यह आर्थिक असंतुलन भी पैदा करता है.”

न्यायाधीश ने जयललिता की जमानत मंजूर करने का भी कोई प्रथम दृष्टया कारण नहीं पाया.

मशहूर वकील राम जेठमलानी ने जयललिता की पैरवी की.

जयललिता की सहयोगी शशिकला नटराजन, गोद लिए हुए और अब दूर रह रहे बेटे वी. के. सुधाकरण एवं पूर्व सहयोगी जे. इलावारसी की जमानत याचिकाएं भी इसी आधार पर खारिज कर दी गई.

इससे पहले 90 मिनट तक दलील पेश करते हुए जेठमलानी ने न्यायाधीश को आश्वासन दिया कि उनकी मुवक्किल जमानत की हर शर्त का पालन करेंगी, क्योंकि वे कानून का सम्मान करने वाली नागरिक हैं और देश छोड़कर नहीं भागने वाली हैं.

लेकिन इस दलील से भी अदालत नहीं पसीजा.

बेंगलुरू की एक विशेष अदालत ने जयललिता को 27 सितंबर को दोषी ठहराते हुए चार वर्ष साधारण कैद की सजा सुनाई थी. उनके खिलाफ 1991 से 96 के दौरान मुख्यमंत्री रहते हुए संपत्ति जमा करने का आरोप है.

इसके अलावा अदालत ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत 100 करोड़ रुपये जुर्माना भी लगाया.

इस मामले में दोषी करार अन्य लोगों को भी चार-चार वर्ष की कैद की सजा और 10-10 करोड़ रुपये जुर्माना किया गया है.

उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने 1 अक्टूबर को मंगलवार को नियमित पीठ में जमानत याचिका पर सुनवाई तय की थी.

इस बीच बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए पुलिस ने उच्च न्यायालय के एक किलोमीटर के दायरे में पांच और इससे अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर पाबंदी लगा दी है.

इससे पहले तमिलनाडु में जयललिता के समर्थकों की खुशी का उस समय ठिकाना नहीं रहा था जब टीवी चैनलों पर यह खबर चली कि पूर्व मुख्यमंत्री को उच्च न्यायालय ने सशर्त जमानत दे दी है. जमानत मिलने की सूचना एआईएडीएमके के एक वकील के हवाले से दी गई थी.

इस खबर के बाद एआईएडीएमके सदस्य, विधायक और सांसद बड़ी संख्या में चेन्नई स्थित पार्टी मुख्यालय और राज्य भर के पार्टी कार्यालयों पर जमा हो गए. हर तरफ खुशियां मनाई जाने लगी और ढोल नगाड़े बजने लगे, पटाखे जलाए जाने लगे व मिठाइयां बांटी जाने लगी.

लेकिन यह खुशी महज थोड़ी देर का सपना साबित हुआ. मीडिया ने अपनी पूर्व की खबर की जगह यह खबर दी कि जयललिता की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है.

इसके बाद एआईएडीएमके के समर्थक पुरुष और महिलाएं भावुक हो गईं. कई महिलाएं खुलेआम विलाप करने लगी. खुशी का प्रदर्शन गुस्से के इजहार में तब्दील हो गया.

तनाव बढ़ते देख मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने लोगों से शांति की अपील की और ऐसे प्रदर्शन नहीं करने को कहा जिससे आम लोगों को तकलीफ हो.

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