बिजली विहीन गांव में नेताओं को नो एंट्री
जशपुर | एजेंसी: सरप्लस बिजली वाले राज्य होने के सरकारी दावे के उलट छत्तीसगढ़ के कई गांवों अभी तक बिजली के लिए तरस रहे हैं. राज्य के जशपुर जिले के एक गांव में बिजली लाइन नहीं आने से गुस्साए ग्रामीणों ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाया है. जनप्रतिनिधियों से लगातार गुहार लगाकर थक चुके लोगों ने अब गांव के बाहर बैनर लगाकर नेता, मंत्री व अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है.
यह अनोखा मामला जिले के फरसा बहार ब्लॉक के जंगलकोना गांव का है. यह गांव तपकरा थाना से महज आधे किलोमीटर की दूरी पर बसा है और ग्राम पंचायत जबला के अंतर्गत आता है. इस गांव की आबादी लगभग पांच सौ है. स्थानीय ग्रामीण गांव में बिजली लगवाने के लिए नेता और मंत्रियों के चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं. एक-दो नहीं, सैकड़ों बार और सैकड़ों जगह ग्रामीण इसके लिए आवेदन लगा चुके हैं पर उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.
अपनी उपेक्षा से जंगलकोना के ग्रामीण इतने आक्रोशित हो गए कि उन्होंने गांव में बैठक की, जिसमें सर्वसम्मति से नेताओं को गांव से दूर रखने का निर्णय लिया गया. ग्रामीणों ने गांव की ओर आनेवाले मुख्य रास्ते पर पाबंदी वाला बैनर लगा दिया है, जिसमें लिखा है कि नेता, मंत्री और जनप्रतिनिधियों का प्रवेश बंद है, क्योंकि यहां बिजली नहीं है. साथ ही उसमें चुनाव बहिष्कार की बात भी लिखी गई है.
एक ग्रामीण अशोक लकड़ा ने बताया कि दस साल से ज्यादा समय बीत गया. हम बिजली की मांग कर रहे हैं, पर सुनने वाला कोई नहीं है. यही कारण है कि हमने अपने गांव में नेताओं व मंत्रियों का प्रवेश बंद करा दिया है.
गांव की महिला तारामनी एक्का बताती हैं, “हमें बहुत तरह की परेशानियां हैं. यहां बिजली नहीं है, अंधेरे में हाथियों का आतंक बना रहता है और बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है.”
ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के 66 साल गुजर गए, लेकिन उनके गांव की तस्वीर नहीं बदली है. यहां पहुंचने के लिए आज भी सड़क के स्थान पर पगडंडी है. पीने के पानी के लिए सिर्फ दो हैंडपंप हैं. स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीणों को दूसरे पंचायत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाना पड़ता है.
पिछले बीस वर्षो में इन ग्रामीणों ने बिजली के लिए जहां-जहां आवेदन दिया है, उन सबकी पावती भी ग्रामीणों के पास है. ग्राम सुराज, कलेक्टर जनदर्शन, मुख्यमंत्री का प्रवास, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद, विधायक और संसदीय सचिव सभी के पास ग्रामीणों ने अपनी समस्या को लेकर आवेदन दिया है, पर स्थिति जस की तस है.
जंगलकोना के ग्रामीणों ने इस बार चुनाव बहिष्कार का निर्णय भी लिया है. बहरहाल, जंगलकोना के ग्रामीणों के इस फरमान के बाद और भी कई गांवों में चुनाव बहिष्कार का फैसला ग्रामीण ले सकते हैं.
इलाके के तहसीलदार कहते हैं कि ग्रामीणों की समस्याओं से शासन-प्रशासन को अवगत करा दिया गया है.