जापान में मोरी से मिले मोदी
क्योटो | एजेंसी: प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को बौद्ध भिक्षु नागामोरी से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक शिन्या यामानाका से सिकलसेल एनीमिया से निपटने में मदद मांगी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां दो प्रमुख बौद्ध मंदिरों के दर्शन किए. मोदी ने क्योटो में स्टेम सेल के अग्रणी चिकित्सक एवं वैज्ञानिक शिन्या यामानाका से मुलाकात कर भारत के जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल बीमारी से निपटने में जापान से मदद भी मांगी.
इससे पहले अपने पांच दिवसीय जापान यात्रा के तहत शनिवार को यहां पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री ने रविवार को क्योटो के मेयर दइसाकु काडोकावा से भी मुलाकात की.
मोदी ने जापान दौरे के पहले दिन की शुरुआत प्राचीन बौद्ध मंदिरों तोजी मंदिर और किनकाकु-जी मंदिर के दर्शन से की.
सफेद कुर्ते पायजामे और बंदगले वाली पोशाक में मोदी अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे के साथ पहले तोजी मंदिर के दर्शन के लिए गए. अबे मोदी के स्वागत के लिए शनिवार को खास तौर पर क्योटो पहुंचे थे.
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि मोदी प्रमुख बौद्धभिक्षु की अगुवाई में क्योटो स्थित लगभग 57 मीटर ऊंचे आठवीं सदी के बौद्ध मंदिर के दर्शन के लिए गए. बौद्ध भिक्षु ने उन्हें मंदिर की विशेषताएं बताईं.
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने ट्विटर पर लिखा कि मोदी और अबे ने तोजी मंदिर के दर्शन के दौरान भारत-जापान की प्राचीन सभ्यताओं के बारे में बातें की. तोजी मंदिर यूनेस्को की विश्व विरासतों की सूची में शामिल है.
इसके बाद मोदी 1397 ईस्वी में निर्मित दूसरे प्राचीन बौद्ध मंदिर किनकाकु-जी के दर्शन के लिए गए. यहां उनसे मिलने आए लोगों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ उनका अभिवाद किया, मोदी ने लोगों से बातें भी की.
किनकाकु-जी मंदिर में मोदी ने मुख्य पुरोहित 83 वर्षीय बौद्ध भिक्षु यासु नागामोरी के साथ समय बिताया. मोदी ने बड़ी ही हाजिरजवाबी के साथ नागामोरी का अभिवादन करते हुए कहा, “मैं मोदी हूं और आप मोरी हैं.”
मोदी क्योटो यूनिवर्सिटी में स्टेम सेल के अग्रणी चिकित्सक एवं वैज्ञानिक और 2012 के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर शिन्या यामानाका से भी मिले.
उन्होंने सिकल सेल एनीमिया के इलाज और भारतीय व जापानी संस्थानों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की.
भारतीय प्रधानमंत्री ने सिकल सेल एनीमिया की व्यापकता विशेषकर पूरे भारत में जनजातीय सुमदायों में इसके प्रकोप पर चिंता जताई.
इस बीमारी में मानव शरीर की कोशिकाओं का लचीलापन घटने लगता है और कई जानलेवा बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो जाता है. यह बीमारी ज्यादातर उन क्षेत्रों में देखी जाती है, जहां मलेरिया का प्रकोप होता है.
बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री ने यामानाका से इस बीमारी का इलाज ढूंढने की दिशा में काम करने का आग्रह किया है.”
यामानाका ने कहा कि फिलहाल उनके संस्थान सेंटर फॉर आईपीएस सेल रिसर्च एंड एप्लीकेशन में एक भी भारतीय शोधकर्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि भारतीय वैज्ञानिक इस संस्थान में शोध करें.
क्योटा के मेयर काडोकावा ने मोदी के साथ मुलाकात के दौरान उन्हें क्योटो की ऐतिहासिकता, हरियाली, बौद्धिकता और आधुनिकता के बारे में बताया.
मोदी अपने जापानी समकक्ष अबे से शनिवार को लगभग एक घंटे के लिए मिले. भारतीय अधिकारियों ने इस मुलाकात को असाधारण, जोशपूर्ण और दोस्ताना बताया.
मोदी ने यहां वाराणसी और क्योटो के बीच शहरी विकास के बीच प्राचीन विरासतों के संरक्षण पर भी साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए.
मई 2014 में प्रधानमंत्री कार्यालय का पदभार संभालने के बाद मोदी पहली बार दक्षिण एशिया से बाहर द्विपक्षीय यात्रा पर गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत-जापान संबंध अपनी संभावना से काफी पीछे था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ ग्रहण के दिन से ही विदेश नीति को वरीयता दी है. उनके शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों तथा शासनाध्यक्षों ने शिरकत की थी.