J&K: मुफ्ती होंगे मुख्यमंत्री
जम्मू | समाचार डेस्क: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के सरपरस्त मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री बनेंगे. सरकार गठन को लेकर मुफ्ती की पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच राज्य में गठबंधन सरकार बनाने पर अंतत: सहमति बन गई है. पीडीपी के सरपरस्त के करीबी सूत्र ने शनिवार को आईएएनएस को बताया कि दोनों पार्टियों के बीच सभी विवादित मुद्दों पर एक सहमति बन गई है.
उन्होंने कहा, “हां, संविधान के अनुच्छेद 370, सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम तथा पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों की स्थिति जैसे कई विवादास्पद मुद्दों पर न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर सहमति बन गई है.”
सूत्र ने कहा, “इस बात को लेकर सहमति बनी है कि लिखित रिफरेंस के बगैर दोनों पार्टियां अनुच्छेद 370 के संबंध में देश के संविधान के साथ सामंजस्य रखते हुए राज्य की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगी.”
राज्य में पीडीपी के 28 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 25 हैं.
एक सप्ताह तक मुंबई में बिताने के बाद सईद शुक्रवार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी लौट आए.
दोनों दलों के बीच बनी सहमति के अनुसार मुफ्ती छह साल के पूर्ण कार्यकाल के लिए राज्य के मुख्यमंत्री होंगे.
राज्य में सरकार गठन को लेकर भाजपा के साथ बातचीत करने में शामिल पीडीपी के सूत्र ने बताया कि राज्य से सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम पूरी तरह हटाने की पार्टी की मांग की बजाय दोनों दलों के बीच इस पर सहमति बनी है कि इसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो धीरे-धीरे और समय आने पर राज्य के विभिन्न हिस्सों से इस अधिनियम को हटाने की अनुशंसा करेगी.
वहीं, भाजपा के सूत्रों ने बताया, “पीडीपी, भाजपा की इस मांग पर सहमत हो गई है कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों की समस्या का राजनीतिकरण न किया जाए, बल्कि इससे संबंधित समस्या का समाधान मानवीय आधार पर किया जाए.”
इस बीच, सरकार गठन के लिए दोनों दलों के बीच बनी सहमति के बारे में पूछे जाने पर पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर खान ने जम्मू में कहा, “मैं आज मुफ्ती मोहम्मद सईद से मिलने वाला हूं. यदि ऐसा कुछ हुआ है तो हम इस बारे में बताएंगे.”
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में 25,000 परिवार भारत पहुंचे.
चूंकि ये लोग पूर्ववर्ती जम्मू एवं कश्मीर राज्य के नागरिक नहीं है इसलिए वे न तो विधानसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं और न ही राज्य में संपत्ति खरीद सकते हैं. यह राज्य 1947 में भारत में विलय से पहले भी मौजूद था.
एक अनियमितता के कारण पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी संसदीय चुनाव में मतदान कर सकते हैं, लेकिन राज्य के चुनावों में मतदान नहीं कर सकते. राज्य के पास भारत के संविधान से संबद्ध अपना भी संविधान है और राज्य पर दोनों समान रूप से लागू है.
सूत्रों का कहना है कि इस बारे में औपचारिक घोषणा अगले दो-तीन दिनों में होने के बाद पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकते हैं.
राज्य की 87 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कान्फ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं और सात निर्दलीय हैं.