श्रीनगर डूबा, इंटरनेट सेवा ठप
श्रीनगर | एजेंसी: बाढ़ के कारण जम्मू एवं कश्मीर में मोबाइल कवरेज और इंटरनेट सेवा ठप हो गई. जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के अधिकांश रिहायशी व व्यावसायिक इलाके सोमवार को बाढ़ के पानी में डूब गए और लोग पानी और कीचड़ से अपने सामानों को बचाने के लिए प्रयासरत देखे गए.
एक अनुमान के मुताबिक, शहर के अधिकांश इलाके सोमवार को दूसरे दिन भी जलमग्न रहे. शहर के मुख्य व्यावसायिक केंद्र लाल चौक स्थित कई दुकानों में बाढ़ का पानी घुस गया, जिसके कारण दुकानदार दुकानों में रखे सामानों को बचाने के प्रयास में लगे रहे.
बाढ़ की स्थिति के कारण रेडियो और टेलीविजन स्टेशन भी रविवार को बंद रहे.
बीते 50 वर्षो की सबसे भयानक बाढ़ के कारण मृतकों की संख्या 150 के आंकड़े को पार कर गई है. बाढ़ से प्रभावित सुदूरवर्ती इलाकों से कोई सूचना नहीं मिल पा रही है.
भयानक बाढ़ में राहत कार्य में लगे अधिकारी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, लेकिन यथासंभव मदद करने में लगे हैं.
मोबाइल टॉवरों के क्षतिग्रस्त होने से मोबाइल सेवा पूरी तरह बंद है.
कश्मीर घाटी में इंटरनेट भी काम नहीं कर रहा है.
इस वक्त पुलिस की वायरलेस प्रणाली ही संचार का एकमात्र सहारा है.
श्रीनगर और उत्तरी कश्मीर के गांदरबल जिले के बीच सड़क संपर्क को छोड़कर घाटी के अन्य सभी जिलों -अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम, शोपियां, बड़गाम, बरामुला और बांदिपोरा- के बीच सड़क संपर्क टूट गया है.
वायुसेना ने सोमवार को इलाके में 70 नौकाएं उतारीं, क्योंकि यहां राष्ट्रीय आपदा कार्य बल के सात दल बाढ़ राहत कार्य में लगे हैं.
सेना असहायों को बचाने के कठिन काम में लगी है. राहत कार्य के लिए नौसेना ने मरीन कमांडो तैनात किए हैं.
श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग और श्रीनगर-लेह राजमार्ग सोमवार को चौथे दिन भी बंद हैं.
बाढ़ के कारण श्रीनगर में पेट्रोल की उपलब्धता प्रभावित हुई है, जिसके कारण पंप संचालक एक वाहन को मात्र एक लीटर पेट्रोल देने को विवश हैं.
सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं. हज यात्रा की उड़ानों को भी 12 सितंबर तक के लिए रद्द कर दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बाढ़ क्षेत्र का दौरा किया और इसे राष्ट्रीय आपदा बताया.
वहीं, मौसम विभाग का कहना है कि अगले चार दिनों में मौसम सामान्य होगा.
घाटी के सभी पहाड़ी झरनों व नालों में जलस्तर कम हुआ है, लेकिन सबसे ज्यादा तबाही लाने वाली झेलम नदी का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है.