कोल ब्लॉक की नीलामी पर जयराम रमेश ने लिखी चिट्ठी
रायपुर | संवाददाता: कोल ब्लॉक की नीलामी के खतरे पर चिंता जताते हुये पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिख कर अफसोस जताया है.
जयराम रमेश ने अपने पत्र में लिखा है कि अति संपन्न जैव विविधता वाले क्षेत्र के कोल ब्लॉकों को जिस प्रकार कल नीलामी के लिये प्रस्तुत किया गया, वह सदमे में डालने वाला फैसला है.
पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रमेश ने पत्र में कहा कि कोयला के ऐसे कई ब्लॉक को नीलामी के लिए रखा गया, जो घने जंगल वाले क्षेत्र में स्थित हैं. पर्यावरण मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड ने संयुक्त रूप से 2010 में ‘नो-गो’ क्षेत्र के तौर पर इन्हें माना था. नौ बड़े कोल ब्लॉक का अध्ययन किया गया था और पाया गया कि उसके 70 फीसदी ‘गो’ एरिया में आते हैं, जिन्हें प्रथम दृष्ट्या खनन की मंजूरी के लिये विचारणीय माना जा सकता है. लेकिन ये खदान भी मंजूरी योग्य हैं, यह भी नहीं कहा जा सकता. शेष बचे 30 प्रतिशत ‘नो गो’ एरिया में तो खनन के बारे में किसी भी परिस्थिति में सोचा भी नहीं जा सकता.
पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री और आपने, बराबरी से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया है. ये किस प्रकार की प्रतिबद्धता है कि सघन वनों में स्थित कोल ब्लॉकों को खनन के लिये खोल दिया गया?
जयराम रमेश ने कहा है कि ये तिहरा विनाश है. प्रथम तो खनन और कोयले का जो परिवहन होगा, उसकी बहुत बड़ी पर्यावरणीय कीमत चुकानी पड़ेगी. दूसरा-सघन वन आच्छादन का नुकसान होगा, इसका अर्थ है क़ीमती कार्बन सिंक का क्षय; जिसकी भरपाई किसी भी रुप में वणीकरण से संभव नहीं है. तीसरा-जन स्वास्थ्य का बुरी तरह प्रभावित होना, जिसे हम पहले से ही झेल रहे हैं, अब इसमें और इज़ाफा होगा.
Auction of coal blocks in very rich biodiversity areas going against “go” / “no go” classification is a triple disaster, and must be cancelled immediately.
Influence of politically powerful power producers is evident.
PM must walk the talk on Climate Change.@PrakashJavdekar pic.twitter.com/iifRQ1Yc86
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 19, 2020
पत्र में जयराम रमेश ने लिखा है कि मैं यह बात जानता हूं कि कई राजनीतिक रुप से ताकतवर बिजली उत्पादकों की इनमें से कुछ कोयला खदानों पर नज़र है. जिसमें से एक कोल ब्लॉक ताड़ोबा के खतरनाक रुप से निकट है. जिसे लेकर मैं आश्वस्त हूं कि यह आपकी जानकारी में होगा.
जयराम रमेश ने कहा कि पारिस्थितिकीय रुप से नाजुक और संवेदनशील ज़ोन में कोल खनन शुरु करने का जो निर्णय है, उसमें उनका प्रभाव साफ़ तौर पर नज़र आता है.
जयराम रमेश ने कहा कि कल प्रधानमंत्री ने कोयले की हीरा से तुलना की थी. यह 1970 और 1980 की शुरुआती दौर की भाषा है. आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हुआ कोई भी व्यक्ति इस तरह का वक्तव्य नहीं देगा.
प्रकाश जावड़ेकर को लिखे पत्र में जयराम रमेश ने अनुरोध किया है कि पारिस्थितिकीय रुप से नाजुक और संवेदनशील ज़ोन में नीलामी में शामिल किये गये कोल ब्लॉक को तत्काल प्रभाव से रद्द करने के लिये तत्काल कदम उठायें.