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साईबाबा का निधन

नई दिल्ली | संवाददाता: दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. गोकरकोंडा नागा साईबाबा का 57 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया. पोलियोग्रस्त और ट्राइसाइकिल पर चलने वाले साईबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे.

उन्हें 9 मई 2014 को माओवादियों का सहयोगी होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.

लेकिन लगभग 9 सालों तक जेल में बंद रहे साईबाबा को इस साल 5 मार्च को बाइज्जत बरी किया गया था.

इससे पहले 14 अक्तूबर 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा को रिहा कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अगले ही दिन उनकी रिहाई पर रोक लगा दी थी.

इसके बाद वे इस साल 5 मार्च तक जेल में रहे. हाईकोर्ट ने उन्हें फिर से बाइज्जत रिहा किया. अदालत ने कहा कि इंटरनेट से कम्युनिस्ट या नक्सल साहित्य डाउनलोड करना या किसी विचारधारा का समर्थक होना यूएपीए अपराध के तहत नहीं आता है.

अपनी रिहाई के बाद साईबाबा ने आरोप लगाया था कि माओवादी होने के आरोप में गिरफ़्तार करने के बाद से ही उन्हें प्रताड़ित किया गया.

अपनी रिहाई के बाद साईबाबा ने पत्रकारों से कहा था, “10 साल लम्बे चले इस मामले के दर्द को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. आज यहाँ बैठे मुझे वो नरकीय अंडा शेल याद आ रहा, जहाँ मुझे इतने दिनों तक कैद रखा गया. हमारे पूरे न्यायिक व्यवस्था को ये समझना होगा कि न्याय कि लम्बी प्रक्रिया भी अपने आप सज़ा भोगने जैसा होता है.”

उन्होंने आरोप लगाया था कि जेल में उनकी जीवनरक्षक दवाइयों को भेजने से रोक दिया जाता था. साईबाबा के अनुसार- “मुझे कई तरह की शारीरिक परेशानियों के बावजूद मेडिकल सुविधा नहीं दी जाती थी. मैं महीनों दर्द में तड़पता रहता था, लेकिन मुझे डॉक्टर की मदद नहीं दी जाती थी. मैंने जेल में कई कैदियों की बिलकुल साधारण सी शारीरिक दिक्क्तों की वजह से जान जाते देखी है सिर्फ इसलिए की उन्हें किसी तरह की मेडिकल मदद नहीं मिली.”

अदालत से बरी होने के बाद से ही उनका स्वास्थ्य ख़राब था. अलग-अलग बीमारियों के कारण उनका लगातार इलाज चल रहा था.

पिछले महीने की 28 तारीख को उनके पित्ताशय की पथरी की सर्जरी हुई थी.

उनकी पत्नी वसंता ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने बताया- “ऑपरेशन के छह दिन बाद पेट के अंदर उस जगह संक्रमण शुरू हो गया, जहां पित्ताशय को हटाकर स्टंट लगाया गया था. पिछले एक हफ़्ते से साईबाबा को 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक बुखार और पेट में तेज दर्द हो रहा था. वो डॉक्टर की निगरानी में थे.”

उन्होंने कहा- “इसके बाद 10 अक्तूबर को साईबाबा के पेट में जहां सर्जरी की गई थी वहां से मवाद निकाला गया. इसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था. पेट में सूजन के कारण उन्हें काफी दर्द था. सर्जरी वाली जगह के पास इंटर्नल ब्लीडिंग हो रही थी, जिससे पेट में सूजन आ गई और उनका ब्लड प्रेशर कम हो गया था. शनिवार को उनका हार्ट काम नहीं कर रहा था, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर दिया लेकिन साईबाबा की जान नहीं बच सकी.”

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