दुनिया की हर तीसरी वृक्ष प्रजाति के लुप्त होने का ख़तरा
नई दिल्ली | डेस्क: दुनिया में हर तीसरी वृक्ष की प्रजाति खतरे में है. ताज़ा वैज्ञानिक आकलन में यह बात उभर कर सामने आई है कि दुनिया की लगभग 38 फ़ीसदी वृक्ष प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है.
दुनिया के जिन 192 देशों में पेड़ों की प्रजाति के लुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है, उसमें भारत भी शामिल है.
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ यानी आईयूसीएन ने संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची का प्रकाशन किया है.
आईयूसीएन से जुड़े एक हज़ार से ज़्यादा वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह आकलन चिंताजनक है. इस आंकलन के अनुसार दुनिया की 47,282 वृक्ष प्रजातियों में से कम से कम 16,425 विलुप्त होने के ख़तरे में हैं. दुनिया भर के पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों और उभयचरों की बात करें तो आईयूसीएन रेड लिस्ट में अब तक 166,061 प्रजातियों को शामिल किया गया है. इनमें से 46,337 प्रजातियों की विलुप्ति की आशंका जताई गई है.
आईयूसीएन के एक बयान में कहा गया है, “खतरे में पड़ी वृक्ष प्रजातियों की संख्या सभी संकटग्रस्त पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों और उभयचरों की संयुक्त संख्या से दोगुनी से भी अधिक है. ”
रेड लिस्ट पार्टनर, बोटेनिक गार्डन्स कंजर्वेशन इंटरनेशनल में ग्लोबल ट्री असेसमेंट लीड, मालिन रिवर्स ने कहा, “यह व्यापक मूल्यांकन पेड़ों की संरक्षण स्थिति की पहली वैश्विक तस्वीर प्रस्तुत करता है, जो हमें बेहतर जानकारी के साथ संरक्षण संबंधी निर्णय लेने और पेड़ों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है.”
रिपोर्ट में पाया गया कि ऐसे इलाके विशेष रूप से असुरक्षित हैं, जहाँ शहरी विकास और कृषि के लिए वनों की कटाई के कारण पेड़ों को सबसे अधिक खतरा है. आक्रामक प्रजातियाँ, कीट और बीमारियाँ खतरों को और बढ़ा देती हैं.
आईयूसीएन रेड लिस्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वृक्षों के नष्ट होने से हजारों अन्य पौधों, कवकों और जानवरों के लिए खतरा बढ़ रहा है.
बर्डलाइफ इंटरनेशनल में जलवायु और वन प्रमुख क्लियो कनिंघम ने कहा, “विश्व स्तर पर खतरे में पड़ी दो तिहाई से अधिक पक्षी प्रजातियाँ वनों पर निर्भर हैं. स्थानीय समुदायों और मूल निवासियों के लिए जो वनों पर निर्भर हैं, वन्य जीवन के लिए जो पेड़ों पर निर्भर हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रति वनों की लचीलापन बढ़ाने के लिए, इस रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.”