छत्तीसगढ़ में कोयला ही नहीं, लौह परिवहन में भी अवैध लेवी वसूली
रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार में कोयले के बाद लौह अयस्क परिवहन में भी अवैध लेवी वसूलने का मामला सामने आया है. इसके लिए बकायदा सिंडिकेट तैयार किया गया था, जो व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से 100 रुपये प्रतिटन अवैध लेवी वसूल करता था. इस प्रकार करोड़ों का बंदरबाट किया गया है.
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने स्थानीय अदालत में जो आरोप पत्र प्रस्तुत किया है, उससे पता चलता है कि अधिकारी, नेता और कारोबारियों के बीच जबरदस्त सांठगांठ थी. सभी ने मिलकर योजनाबद्ध तरीके से सिंडिकेट तैयार कर इस काम को अंजाम दिया है. कोयले में 25 रूपये प्रति टन लेवी वसूल किया गया था, वहीं लौह अयस्क में 100 रुपये प्रति टन तक वसूला गया है.
जांच एजेंसी को आयरन पैलेट के परिवहन में भी लगभग 65 करोड़ रूपये की अवैध वसूली करने के साक्ष्य मिले हैं.
कोयले में 540 करोड़ की लेवी वसूली की है. इसके साथ ही तीन सौ करोड़ रुपयों के मनी ट्रेल का हिसाब किताब भी आरोप पत्र भी शामिल किया गया है.
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में आरोप पत्र पेश किए हैं, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया, आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, शिवशंकर नाग, संदीप नायक, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत 15 आरोपितों के खिलाफ इससे जुड़े कई और सबूत पेश किए हैं.
आरोप पत्र के अनुसार सूर्यकांत तिवारी पर पैसों के बंटवारे और लेवी वसूलने के लिए व्यापारियों और परिवहनकर्ताओं पर दबाव बनाने का आरोप है.
आरोप है कि खनिज ऑनलाइन पोर्टल में भी छेड़खानी कर अवैध रूप से आदेश पारित किया गया था.
इसके अलावा कोरबा में दो रूपये और सूरजपुर में एक रूपये प्रतिटन अतिरिक्त लेवी वसूल किया जाता रहा था.
आरोप है कि इन लोगों ने कोयला परिवहन के लिए अनुमति पत्र लेने की प्रक्रिया को भी इतना उलझा दिया था कि व्यापारियों का रिश्वत दिए बगैर काम ही नहीं बनता था. व्यापारियों से जबरदस्ती पूर्व में प्रयुक्त डिलिवरी आर्डर, ऑनलाइन ई-परमिट, ईटीपी के साथ-साथ भौतिक रूप से अनुमति बनाना आवश्यक कर दिया गया था. इसके बाद भी अनुमति पत्र तब तक नहीं दिया जाता था, जब तक प्रति टन के हिसाब से अवैध लेवी का भुगतान नहीं किया जाता.