प्रसंगवश

सुरक्षा पर भारी ‘इंक अटैक’

‘इंक अटैक’ दरअसल ‘एसिड अटैक’ का एक सुरक्षित रूप है. जिसमें पीड़ित घायल तो नहीं होता है परन्तु उसके इज्जत का बारह बज जाता है. कम से कम ‘इंक अटैक’ करने वाले की तो यही मानसिकता समझ में आती है. इससे जुड़ा हुआ एक गंभीर सवाल यह है की क्या इसे सुरक्षा में खामी नहीं माना जा सकता है. आखिरकार एक वीआईपी तक कोई कैसे इतनी आसानी से पहुंच सकता है बिना किसी जांच के. अब स्याही फेंकना अहिंसक तरीके से अपनी बात कहने का माध्यम बनता जा रहा है या फिर एक अपरंपरागत तरीके से सोशल मीडिया, समाचार चैनलों के इस दौर में चर्चित होने या लोकप्रिय होने का जरिया? कुछ भी हो, लेकिन तेजी से बढ़ रहे इस चलन ने एकाएक सबका ध्यान जरूर खींचा है. कम से कम रविवार को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में हुई घटना ने तो सुरक्षा को लेकर चिंता और भी बढ़ा दी है.

स्याही फेंकने वाली महिला कथित रूप से आम आदमी सेना पार्टी (आम आदमी से अलग हुए धड़े) की खुद को पंजाब का प्रभारी बता रही है. वह प्रभारी है भी या नहीं या ये पार्टी के अंदरूनी गुट का मसला हो सकता है, जो अलग बात है. लेकिन सुरक्षा के लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वहीं के मुख्यमंत्री की सभा में उन पर ‘इंक अटैक’ बड़ी बात है.

सुरक्षा को लेकर सवाल उठेंगे, उठना लाजिमी भी है. राष्ट्रीय राजधानी में कारों के धुएं से बढ़ते प्रदूषण को घटाने के लिए 15 दिन चलाई गई ‘सम-विषम योजना’ की कामयाबी पर यह धन्यवाद सभा थी. सभा का विज्ञापन कई दिनों पहले से अखबारों में दिया जा रहा था, जाहिर है कि इसकी पुलिस को भी खबर थी. इसके बावजूद हमलावर महिला को रोकने के लिए केंद्र सरकार की महिला पुलिस नदारद दिखी.

अहम यह कि जब वह महिला बिना किसी बाधा के मंच तक न केवल पहुंची, बल्कि उसने कागज के टुकड़े निकाले, उसे उछाले, फिर बैग से स्याही की बोतल निकालकर उसका ढक्कन खोला और मंच की ओर फेंक दिया. यह सब केंद्र सरकार के सुरक्षाकर्मी निरीह बने देखते रहे, यानी किंकर्तव्य विमूढ़ हो गए.

हो सकता है, पुलिस अधिकारी भी हक्का-बक्का रह गए हों कि क्या करें क्या न करें? महिला के बैग में स्याही की बोतल के साथ कुछ खतरनाक सामग्री भी तो हो सकती थी!

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने इसे केंद्र में सत्तारूढ़ और दिल्ली चुनाव बुरी तरह हारी भारतीय जनता पार्टी की कारस्तानी बताई है. सच्चाई जो भी हो, मगर केंद्र के अधीनस्थ दिल्ली पुलिस सुरक्षा में कोताही के आरोप से पल्ला नहीं झाड़ सकती.

25 मार्च, 2014 को भी वाराणसी में केजरीवाल के रोड शो में स्याही फेंकी गई थी और इस मामले में अम्बरीश सिंह नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था. इससे पहले भी एक बार 18 नवंबर, 2013 को नचिकेता नामक व्यक्ति ने दिल्ली में ही केजरीवाल पर स्याही फेंकी थी. उस समय भी इसे विरोधियों की हरकत करार दिया गया था.

इंक अटैक के दुनियाभर में कई मामले चर्चित हैं. भारत में यह चलन हाल के वर्षो में तेजी से बढ़ा है. निश्चित रूप से ऐसी घटनाएं कानूनी दृष्टिकोण से बड़े मामले नहीं बनते, लेकिन यह भी ठीक नहीं कि इसी आड़ में कानूनी रूप से छोटा लगने वाला, पर सुर्खियों में कई दिनों तक छाए रहने वाले कृत्यों की छूट हो.

भारत में पहली बार किसी महिला ने किसी बड़े नेता पर इंक अटैक किया. वह भी ऐसी जगह, जहां पर भारी भीड़ के बावजूद मंच पर एक भी महिला सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थी. आज के संदर्भ में सुरक्षा में चूक को लेकर यह ‘बड़ी घटना’ जरूर कही जाएगी.

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