महंगाई का मारा, मध्यम वर्ग बेचारा
रायपुर | समाचार डेस्क: दुनिया का सबसे बड़ा भारत का मध्यम वर्ग, महंगाई के कारण कुपोषण का शिकार होता जा रहा है.
बढ़ती हुई महंगाई ने भारत के मध्यम वर्ग को मजबूर कर दिया है कि वह पोषक खाद्य पदार्थो में 40 फीसदी की कटौती करे. यह बात एक सर्वे से खुलकर सामने आई है. यह सर्वे अक्टूबर तथा नवंबर 2013 में कराया गया है.
इस सर्वेक्षण के आकड़े चौकाने वाले हैं. आवश्यक वस्तुओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा तथा आवागमन के साधनों पर खर्चे, आमदनी की तुलना में बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं. इसी कारण लोगों को अपने भोजन में कटौती करनी पड़ रही है. जिसका सीधा असर आने वाले समय में उनके स्वास्थ्य पर पड़ने जा रहा है, इतना तो तय है.
इस ताजा तरीन सर्वेक्षण से यह पता चला है कि भारतीय मध्यम वर्ग 1995 में 82 फीसदी प्रोटीन अपने भोजन के माध्यम से लेता था जो अब केवल 40 फीसदी का रह गया है. भारतीय मध्यम वर्ग के भोजन में 1995 में वसा की मात्रा 75 फीसदी रहती थी जो अब 35 फीसदी रह गई है. इसी प्रकार से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 1995 के 85 फीसदी की तुलना में केवल 38 फीसदी रह गई है.
भारतीय मुख्य रूप से शाकाहारी हैं तथा दूध एवं उससे बने पदार्थ भोजन का एक आवश्यक तत्व है. हालांकि दूध तथा उससे बनने वाले भोज्य पदार्थो का उत्पादन हमारे देश में बढ़ा है. उदाहरण के तौर पर 1990-91 में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 176 ग्राम दुग्ध पदार्थ उपलब्ध था जो अब बढ़कर 276 ग्राम प्रति दिन प्रति व्यक्ति का हो गया है. लेकिन सवाल है इनका बढ़ता हुआ मूल्य जो आसमान छू रहा है. इस कारण शाकाहारियों को भी अपने इस पोषक तत्व की कटौती अपने भोजन से करनी पड़ रही है.
यह सर्वे उद्योग संघ एसोचैम द्वारा कराया गया है. एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “आय जिस गति बढ़ी है, उससे अधिक तेजी से आवश्यक पदार्थो और अन्य जरूरी चीजों जैसे शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ा है, जिसके कारण गरीबों, निम्न आय वर्ग और यहां तक कि मध्य वर्ग के परिवारों के लिए भी कठिनाई पैदा हो गई है.”
सर्वेक्षण में 62 फीसदी वेतनभोगियों ने कहा कि वे सब्जियों और फलों पर ही 4,000 रुपये से 6,000 रुपये तक खर्च कर डालते हैं, जबकि पांच साल पहले इस मद पर इसका एक चौथाई ही खर्च होता था. उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर सात फीसदी दर्ज की गई, जो इससे पहले के आठ महीने में सर्वाधिक है. महंगाई में इस वृद्धि में ईंधन, खाद्य पदार्थो और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का प्रमुख योगदान है.