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एशिया-प्रशांत में शक्ति संतुलन के लिए भारत महत्वपूर्ण : अमेरिका

वाशिंगटन । एजेंसी : बदलते आर्थिक व राजनीतिक हालात ने भारत को अमरीका के लिये महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बना दिया है. अब इसे अमरीका के शीर्ष सैन्य अधिकारी भी मानने लगे हैं. अमरीका के चीफ आँफ आर्मी स्टाफ जनरल रेमंड टी ओडिर्नो ने सोमवार को कहा कि वैश्विक शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए भारत और मिस्र जैसी सेनाओं के साथ साझेदारी जरूरी है.

अमेरिका के चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल रेमंड टी ओडिर्नो ने सोमवार को ‘स्क्वे यरिंग द सर्किल : अमेरिकन मिलिट्री स्ट्रेटेजी इन अ टाइम ऑफ डिक्लाइनिंग र्सिोसेज’ विषय पर आयोजित चर्चा में कहा, “संकट के समय सेनाओं के बीच आपसी सहयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है.”

उन्होंने कहा, “वहां जाकर भारतीय सैन्य अधिकारियों से निजी रिश्ते विकसित करने से संकट के समय हमें मदद मिलेगी, हम एक-दूसरे को जानेंगे. हम आपस में बातचीत कर सकते हैं. हम मुद्दों पर बात कर सकते हैं और मेरे लिए यह बहुत मूल्यवान है.”

हाल ही में भारत यात्रा से लौटे ओडिर्नो ने इस बात का उल्लेख किया कि भारतीय सेना के बहुत से शीर्ष अधिकारियों ने अमेरिका में शिक्षा हासिल की है और इससे एक-दूसरे को समझने में मदद मिलती है. इसे और आगे बढ़ाया जा सकता है.

अपनी भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए जनरल ने कहा कि एशिया प्रशांत के जिन देशों में सेना प्रभावी सेवा के रूप हैं, उनमें भारत एक प्रमुख उदाहरण है. भारतीय सेना सबसे बड़ी सेना है और सबसे प्रभावी भी है.

ओडिर्नो ने कहा कि यदि हम एशिया प्रशांत में शक्ति संतुलन को निरंतर कायम रखना चाहते हैं तो सेनाओं के बीच का संबंध सबसे जरूरी है. उन्होंने जनरल बिक्रम सिंह और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से विस्तृत चर्चा का भी उल्लेख किया.

शीत युद्ध के समय भारत सोवियत रूस का रणनीतिक सहयोगी रहा है. उस समय भारत रूस से ही हथियारों की खरीद-फरोख्त करता था. लेकिन जब से सोवियत रूस का पतन हुआ है भारत ने भी अमरीका के साथ आपसी सहयोग को बढ़ाना शुरु कर दिया था.

ब्रिक्स देशों के समूह के रूप में भारत एक बड़ा बाजार है, जिस पर सभी की नजर लगी हुई है. यही एक कारण है कि आज अमरीका ज्यादा से ज्यादा भारत का साथ चाहता है. इसी के तहत अमरीकी सैन्य अधिकारी भारत का दौरा करते रहते हैं.

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