शेयर बाजार होगा ऊपर नीचे
मुंबई | एजेंसी : शेयर बाजार में अगले सप्ताह वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) सौदे की परिपक्वता के कारण इस सेगमेंट के निवेशक अगले महीने के लिए अपने पोजीशन में बदलाव करेंगे, जिसके कारण बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी. गुरुवार 25 जुलाई को इस महीने के डेरीवेटिव सौदे की अवधि पूरी हो जाएगी.
अगले सप्ताह बाजार में निवेशकों का ध्यान मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही में कंपनी के परिणामों पर टिका रहेगा. निवेशक कंपनियों के परिणामों के साथ निकट भविष्य में कंपनी की योजना और अनुमानों के आधार पर भावी निवेश का फैसला करेंगे.
निवेशक अगले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक की वर्ष 2013-14 की मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा का भी इंतजार कर सकते हैं, जिसकी घोषणा 30 जुलाई को होगी.
अगले सप्ताह परिणाम की घोषणा करने वाली प्रमुख कंपनियों में सोमवार को एशियन पेंट्स और एलएंडटी, मंगलवार को एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स और इंडिया इंफोलाइन, बुधवार को अंबुजा सीमेंट्स, यस बैंक
और हीरो मोटोकॉर्प, गुरुवार को आईटीसी, मारुति सुजुकी और जी एंटरटेनमेंट तथा शुक्रवार को हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले इंडिया, टाटा कॉफी और विप्रो अपने परिणामों की घोषणा करेंगी.
पांच अगस्त से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र का भी निवेशकों के निवेश फैसले पर असर हो सकता है. इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पेश होने की उम्मीद है. इनमें प्रमुख हैं भूमि अधिग्रहण विधेयक, बीमा विधेयक, पेंशन विधेयक, कंपनी विधेयक और प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक.
आने वाले कुछ सप्ताहों में बाजार में शेयरों की व्यापक आपूर्ति के कारण शेयर बाजारों के सूचकांकों के ऊपर की ओर बढ़ने की उम्मीद कम है. शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)
के दिशानिर्देश के मुताबिक सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटर की हिस्सेदारी घटानी होगी और आम निवेशकों को एक निश्चित अनुपात में हिस्सेदारी देनी होगी.
निजी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी की ऊपरी सीमा 75 फीसदी और सरकारी सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी की ऊपरी सीमा 90 फीसदी तय की गई है.
सेबी के आदेश के मुताबिक निजी कंपनियों के संस्थापकों को अपनी हिस्सेदारी घटाकर अधिकतम 75 फीसदी के दायरे में लाने के लिए समय सीमा 30 जून निर्धारित थी, जबकि सरकारी कंपनियों को आठ अगस्त तक सेबी के आदेश पालन करना होगा.
वर्ष 2014 में सरकारी कंपनियों के विनिवेश के सरकारी लक्ष्य से भी शेयरों की बिकवाली को हवा मिलेगी. सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से वर्तमान कारोबारी वर्ष में 40 हजार
करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सरकार ने निजी कंपनियों में भी अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.
लोकसभा चुनाव से जुड़ी खबरों के चलते अगले साल मई तक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने के आसार हैं. माना जा रहा है कि अगली सरकार कई पार्टियों की मिलीजुली हो सकती है. सुधार की प्रक्रिया के अवरुद्ध होने की आशंका है. इसका असर वित्तीय घाटा प्रबंधन पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है. और वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा सकती हैं.
बाजार में इस वक्त सेंसेक्स से बाहर बड़ी संख्या में शेयरों में काफी गिरावट चल रही है, इसे देखते हुए निवेशक बॉटमअप की रणनीति अपना सकते हैं. यानी वे सस्ते शेयर खरीद सकते हैं. छोटे निवेशकों को इस दौरान सेक्टर कॉल लेने के बजाय खास-खास शेयरों पर ध्यान देना चाहिए.