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भारत को वियतनामी तेल ब्लॉक की पेशकश

हनोई | समाचार डेस्क: वियतनाम ने सोमवार को समुद्री सुरक्षा और विवादित दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में सीमा विवाद निपटारा में भारत की सक्रिय भागीदारी का अनुरोध किया. भारत इस सागर में अपने तेल एवं गैस गतिविधि बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. इस सागर पर चीन अपना दावा पेश कर रहा है.

आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंकटैंक पर तीसरे गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए वियतनाम के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री फाम बिन मिन्ह ने कहा कि भारत और आसियान के बीच सहयोग अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि भारत-आसियान का भावी विकास और एकीकरण दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर पर निर्भर है. दोनों पक्षों को समुद्री सुरक्षा, नौवहन की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण साधनों से अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक सीमा विवाद निपटारे पर ध्यान देना चाहिए.

यहां एक दौरे पर आईं भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को फाम बिन मिन्ह ने इन विषयों पर अपने रुख से अवगत कराया.

चीन और वियतनाम के संबंध दक्षिण चीन सागर में पार्सेल द्वीप पर हनोई की दावेदारी के मुद्दे पर पिछले कुछ महीने से खट्टे चल रहे हैं.

सुषमा स्वराज ने हालांकि अपने संबोधन में इन मुद्दों को नहीं छुआ.

स्वराज ने अपने संबोधन में कहा कि भूमि, सागर और हवाई मार्गो से आसियान और भारत के बीच संबंध मजबूत किए जाने चाहिए.

उल्लेखनीय है कि स्वराज की यह यात्रा मध्य सितंबर में होने वाली राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा की पूर्व तैयारी है. ध्यान रहे कि उसके कुछ ही दिन बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत की यात्रा करने वाले हैं.

चीन के विरोध के बाद भी वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में भारत को पांच अतिरिक्त तेल एवं गैस ब्लॉक देने की पेशकश की.

भारत इस क्षेत्र में उत्खनन की व्यवहार्यता की परीक्षा कर रहा है. ये ब्लॉक पिछले साल तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम की विदेशी शाखा ओवीएल को पेशकश किए गए थे.

इसके पहले दो और ब्लॉकों की पेशकश की गई थी.

भारत और वियतनाम के बीच आपसी सहयोग में रक्षा क्षेत्र में वार्ता काफी महत्वपूर्ण है. दोनों ही क्षेत्र मानव संसाधन विकास के संदर्भ में अपने रक्षा संबंधों की समीक्षा कर रहे हैं.

एक अधिकारी के मुताबिक दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भारत के इस रुख का वियतनाम ने समर्थन किया है कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के आधार पर मुद्दे का शांति और वार्ता पर आधारित समधान निकाला जाना चाहिए.

भारत का पक्ष यह है कि वह दक्षिण चीन सागर विवाद में संबंधित पक्ष नहीं है और विवादों का समाधान संबंधित पक्षों को मिलकर शांतिपूर्ण तरीके से अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक करना चाहिए.

अधिकारी के मुताबिक भारत और वियतनाम के बीच कैदियों के प्रत्यर्पण और सजायाफ्ता लोगों के हस्तांतरण को लेकर समझौता है. दोनों देश साइबर अपराध पर भी सहयोग चाहते हैं.

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार आठ अरब डॉलर का है, जिसे दोनों देश बढ़ाना चाहते हैं.

पर्यटन क्षेत्र में दोनों देश बौद्ध सर्किट की संभावना भी खंगाल रहे हैं.

नई दिल्ली और मुंबई तथा हनोई के बीच जेट एयरवेज और वियतनाम एयरलाइंस की सेवा नवंबर में शुरू होने के बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू हो जाएगी.

दोनों देश शिक्षा और खासकर प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में भी सहयोग चाहते हैं.

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