लोकसभा चुनाव से अछूता भारत-अमरीकी संबंध
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: भारतीय विदेश सचिव सुजाता सिंह के हाल के अमरीका दौरे से यह निश्चित हो गया है कि होने वाले लोकसभा चुनाव के परिणामों से आपसी रिश्ता प्रभावित नही होगा. अनी यात्रा के दौरान सुजाता सिंह ने अमरीका के दोनों राजनीतिक दल तथा उच्चाधिकारियों के साथ चर्चा की है. अधिकारियों ने कहा कि भारत-अमरीका संबंधों को दोनों देश में समर्थन मिला है और यह इस स्तर पर पहुंच चुका है जहां दोनों किसी प्रभावी मसले पर गहराई से चर्चा कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “यह प्रक्रिया चुनाव पर ध्यान दिए बिना जारी है.”
भारत में अगले साल होने वाले संसदीय चुनाव या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बावजूद भारत-अमरीका की साझीदारी पहले की तरह बरकरार रहेगी.
इसे विदेश सचिव सुजाता सिंह के हाल ही में पूरी हुए चार दिवसीय अमरीका यात्रा का फल माना जा रहा है, जिस दौरान उन्होंने ओबामा प्रशासन के शीर्ष नेताओं और डेमोक्रेटिक तथा रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों से हुई बातचीत को अत्यंत सफल और फलदायी करार दिया था.
सुजाता ने उप विदेशमंत्री विलियम बर्न्स और दक्षिण एवं मध्य एशिया के सहायक सचिव निशा देसाई बिस्वाल से मंगलवार को मुलाकात की.
उन्होंने व्हाइट हाउस के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टोनी ब्लिंकन, उप ऊर्जा मंत्री डेनियल बी.पोनेमैन और हथियार नियंत्रण एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग की कार्रकारी उप मंत्री रोज गोटेमोएलर से भी मुलाकात की. इसके अतिरिक्त उन्होंने अमरीका के कई शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात की.
इधर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेनिफर साकी ने इसे सितंबर महीने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच हुई बैठक का अगला कदम बताया है.
सूत्रों के मुताबिक, सुजाता और अमरीकी नेताओं की बैठक में दोनों देशों के संबंधित व्यापार और निवेश के मसले पर चर्चा हुई. सुजाता ने मंत्रियों एवं सासदों से बातचीत में चिता प्रकट करते हुए कहा कि आव्रजन विधेयक भारत के सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा.
सुजाता ने कहा कि भारत,अमरीका की व्यावसायिक चिंता विशेषकर इंटैलेक्चुएल प्रापर्टी राइट्स, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और दवाई के क्षेत्र में अनिवार्य लाइसेंस पर ध्यान दे रहा है. इस दौरान अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुद्दे को भी उठाया गया.
गौर तलब है कि उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में यह आशंका जताई जा रही है कि भारत में होने वाले अगले चुनाव में यूपीए सरकार नहीं बना पायेगी. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि फिर व्यापार वार्ताओं तथा अन्य संबंधों का क्या होगा. बहरहाल अब अमरीकी पार्टियों तथा उच्चाधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव से भारत-अमरीका संबंधों पर आंच नही आयेगी. इससे उद्योग तथा व्यापार जगत को राहत मिलेगी जो लंबे समय तक के लिये निवेश करते हैं.