बाज़ार

नियमों से डरती विदेशी कंपनियां

बेंगलुरू | एजेंसी: विदेशी ब्रांडों और महंगे उत्पादों के भारत में प्रवेश से संबंधित नियामकीय मुद्दों के कारण अंतर्राष्ट्रीय खुदरा कंपनियां भारत में बड़ा निवेश नहीं कर रही है. यह बात अमरीका की एक वैश्विक निवेश प्रबंधन कंपनी जोंस लैंग लसाल की एक नई रिपोर्ट में कही गई है.

‘ए मैग्नेट फॉर रिटेल – ट्रैकिंग द एक्सपैंशन ऑफ रिटेलर्स एक्रॉस एशिया पैसेफिक’ रिपोर्ट में कहा गया है, “अंतर्राष्ट्रीय रिटेल कंपनियों ने भारत में प्रवेश करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन विदेशी कारोबारियों के रिटेल में प्रवेश करने पर नियामकीय अनिश्चितता के कारण इस दिशा में तेज से विकास नहीं हो रहा है.”

रिपोर्ट में कहा गया है, “नियामकीय अनिश्चितता के कारण देश भर के शहरों में अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों की मौजूदगी नगण्य है, जबकि पिछले एक दशक में काफी आर्थिक विकास हुआ है और देश में एक बड़ी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है.”

इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए जेएलएल ने एशिया प्रशांत क्षेत्रों के 30 शहरों का सर्वेक्षण किया. महंगे उत्पादों में विदेशी रिटेल कंपनियों की मौजूदगी के मामले में इन 30 शहरों में दिल्ली को 24वां, मुंबई को 25वां और बेंगलुरू को 27वां स्थान मिला.

अन्य एशियाई प्रशांत शहरों के मुकाबले देश में उपभोक्ता खर्च अब भी कम है, इसलिए रिटेल कंपनियों को मुनाफे में आने में काफी वक्त लगता है. इसके कारण भी कंपनियों की मौजूदगी कम है.

इसमें साथ ही कहा गया है कि बड़े शहरों में इमारत का किराया भी काफी अधिक होता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों में आर्थिक चुनौतियों के कारण अंतर्राष्ट्रीय रिटेल कंपनियां एशिया प्रशांत क्षेत्र में कारोबार फैलाना चाहती है.

इस क्षेत्र में दुनिया की 54 फीसदी आबादी रहती है. 2020 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र का योगदान 2013 के 36 फीसदी से बढ़कर 2020 तक 40 फीसदी तक पहुंच जाएगा.

इस क्षेत्र में दुनिया की एक तिहाई मध्य वर्गीय आबादी रहती है. 2020 तक इसका अनुपात और बढ़कर 46 फीसदी हो जाने की उम्मीद है.

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