अफगानिस्तान पर भारत की खरी-खरी
नई दिल्ली | डेस्क: केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्य सभा में कहा है कि भारत सरकार अफ़ग़ानिस्तान में कभी भी ऐसे समाधान को स्वीकार नहीं करेगी जिसका फैसला ताक़त के दम पर हो.
बीबीसी केअनुसार अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन के साथ अपनी चर्चा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हमने अफगानिस्तान पर बहुत विस्तृत चर्चा की है. इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मैंने अपनी स्थिति स्पष्ट की. हम बेहद स्पष्ट थे कि अफगानिस्तान में सुलह बातचीत और राजनीतिक समझौते से होनी चाहिए.
उन्होंने बताया ये स्पष्ट है कि “सैन्य समाधान नहीं हो सकता, अफगानिस्तान में ताक़त के दम पर सत्ता हासिल नहीं की जा सकती. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करके ये सुनिश्चित करेंगे कि समाधान के लिए राजनीतिक वार्ताओं को गंभीरता से लिया जाए और हम कभी भी ऐसे परिणाम को स्वीकार नहीं करेंगे जो कि ताक़त के दम पर आया हो.”
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने कहा है कि अफ़ग़ान संघर्ष को सैन्य हल से नहीं सुलझाया जा सकता है और भारत ने इस क्षेत्र में एक नेता एवं अहम अमेरिकी साझेदार के रूप में अफ़ग़ानिस्तान की स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आगे भी देता रहेगा.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देश अफ़ग़ानिस्तान को काफ़ी हद तक एक ही नज़र से देखते हैं और अगर अफ़ग़ानिस्तान अपने लोगों के अधिकारों पर अत्याचार करता है और उनके अधिकारों का सम्मान नहीं करता है, तो वह एक ख़ारिज राज्य बन जाएगा.
इसके साथ ही केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भी गुरुवार को संसद में अफ़ग़ानिस्तान पर सरकार की नीति स्पष्ट करते हुए कहा है कि एक क़रीबी पड़ोसी होने के नाते वह एक लोकतांत्रिक, शांतिमय और संप्रभु अफ़ग़ानिस्तान के पक्ष में है जहां महिलाओं के अधिकार सुरक्षित हों.
उन्होंने कहा, “एक क़रीबी पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार होने के नाते एक संप्रभु, लोकतांत्रिक एवं शांतिमय अफ़ग़ानिस्तान, जहां महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों समेत अफ़ग़ान समाज के सभी वर्गों के हित सुरक्षित हों, का समर्थन करना हमारी नीति रही है.
भारत एक समावेशी अफ़ग़ान-नेतृत्व, अफ़ग़ान-स्वामित्व और अफ़ग़ान नियंत्रित प्रक्रिया के माध्यम से एक स्थायी राजनीतिक समाधान की ओर ले जाने वाली सभी शांति पहलों का समर्थन करता है जिससे इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी.”
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने बताया है कि इस मामले में भारत क्षेत्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय पक्षों के संपर्क में है. और सरकार क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं.
उन्होंने कहा, “विदेश मंत्री ने पिछले साल सितंबर (2020) में दोहा में आयोजित इंट्रा-अफ़ग़ान वार्ता के उद्घाटन सत्र में भाग लिया. सरकार क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों सहित अफगानिस्तान के भीतर और बाहर विभिन्न हितधारकों के संपर्क में है.”
भारत की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल 12 सितंबर को दोहा में आयोजित की गयी इंट्रा – अफ़ग़ान वार्ता के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया था. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस सत्र में हिस्सा लिया था.