मिशन मंगल: एशिया में अग्रणी भारत
बेंगलुरू | एजेंसी: भारत, एशिया का पहला देश है जिसके अंतरिक्ष यान ने मंगल के गुरुत्व क्षेत्र में प्रवेश किया है. गौरतलब है कि 450 करोड़ रुपये की लागत वाले इस महात्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत पांच नवंबर, 2013 को हुई थी. इसके लिये इसरो के वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं जिनके मेहनत ने आखिरकार अपना रंग दिखाया है. भारत का अंतरिक्ष यान बुधवार तड़के सूर्य की कक्षा से मंगल की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारे संचालकों की गणना के अनुसार हमारे मंगलयान मिशन ने मंगल के गुरुत्व प्रभाव वाले क्षेत्र में सोमवार सुबह लगभग नौ बजे प्रवेश किया.”
मंगलयान मिशन बुधवार को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के लिए फिलहाल सूर्य की कक्षा में चक्कर काट रहा है.
मंगल ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए पांच वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ तैयार 475 किलोग्राम भार वाले इस अंतरिक्ष यान के मार्ग में सोमवार अपराह्न् 2.30 बजे किए गए चौथे संशोधन के लिए 15 सितंबर को इसे निर्देशित किया गया था. मार्ग में यह संशोधन इसलिए किया गया, ताकि मंगलयान 24 सितम्बर को सूर्य की कक्षा से मंगल की कक्षा में आसानी से प्रवेश कर जाए.
इसरो के वैज्ञानिक सचिव वी.कोटेश्वर राव ने कहा, “हम अंतरिक्ष यान के नीचे लगे तरल ईंधन संचालित मुख्य इंजन को चार सेकेंड के लिए चालू करेंगे, जिससे कि यह फिर से सक्रिय हो जाएगा. यह इंजन यान के प्रक्षेपण के तुरंत बाद बंद हो गया था.”
संयोगवश अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान मावेन भी सोमवार तड़के मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया.
इसरो के अध्यक्ष के.राधाकृष्णन ने हाल ही में बताया था, “सौर मंडल के किसी अन्य ग्रह के विपरीत मंगल पर मानव की कल्पना की जा सकती है, क्योंकि इसकी परिस्थितियां कई रूपों में पृथ्वी की तरह मानवों के लिए अनुकूल है.”
राधाकृष्णन के अनुसार, “मंगल अभियान हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में बड़ा कदम है और हमारे लिए एक नया मोड़, क्योंकि भारत इस बार अपनी प्रौद्योगिकी क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए देश में निर्मित अंतरिक्ष यान के जरिए पहली बार विशाल अंतर्ग्रहीय अंतरिक्ष में अपनी शुरुआत करेगा.”
मंगलयान 24 सितंबर को सुबह 7.30 बजे जब मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा, उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो केंद्र में मौजूद रह सकते हैं.