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भारत का कर्ज़ 55.87 से बढ़ कर पहुंचा 185.27 लाख करोड़

नई दिल्ली | डेस्क : केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि सात सालों में भारत का कुल कर्ज़ लगभग दोगुना हो गया है. अनुमान है कि यह भारत के जीडीपी का 56.8 फ़ीसदी है.

कांग्रेस पार्टी आरोप लगाती रही है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में 100 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज़ लिया है.

अब केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि 2014 के 55.87 लाख करोड़ का कर्ज़ बढ़ कर 185.27 लाख करोड़ हो चुका है.

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि 2018-19 में भारत पर कुल कर्ज़ 93.26 लाख करोड़ रुपये था.

यह जीडीपी का 49.3 प्रतिशत था.

लेकिन अगले साल यानी 2019-20 में कर्ज़ की यह रकम बढ़ कर 105.07 लाख करोड़ रुपये हो गई.

2020-21 में 121.86 लाख करोड़, 2021-22 में 138.66 लाख करोड़ और 2022-23 में 156.13 लाख करोड़ रुपये हो गया.

वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि 2023-24 में अनंतिम वास्तविक कर्ज़ की रक़म 171.78 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है.

यह जीडीपी का 58.2 फ़ीसदी है.

उन्होंने बताया कि 2024-25 के बजट अनुमान के अनुसार कर्ज़ की रकम 185.27 लाख करोड़ रुपये है.

यह रकम देश की जीडीपी का 56.8 फ़ीसदी है.

क्या सरकार का उद्देश्य उधार,ऋण में वृद्धि कर के 5 मिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है?

इस सवाल के जवाब में पंकज चौधरी ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड इकोनॉमिक ऑउटलुक अप्रैल 2024 के अनुसार, वर्तमान मूल्यों पर भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2023-24 में पहले ही 3.57 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच चुका है.

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