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twitter को भारत का सहारा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दस साल पुरानी माइक्रोब्लागिग वेबसाइट ट्विटर के उपयोगकर्ताओं की रफ्तार ठहर सी गई है और राजस्व में भारी गिरावट आ चुकी है. अब इसके खत्म होने की भविष्यवाणी की जाने लगी है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ट्विटर में अभी बहुत जान बाकी है और सैन फ्रांसिसको की इस कंपनी को भारत में दोबारा जीवन मिल सकता है.

दुनिया भर में 31 करोड़ प्रयोक्ताओं के साथ ट्विटर के भारत में करीब 2.3 लाख उपभोक्ता हैं. अब छह भारतीय भाषाओं में इस पर ट्वीट किया जा सकता है जिसमें हिंदी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मराठी और तमिल शामिल है. कंपनी ने ना सिर्फ हिन्दी में हैशटैग जारी किया है बल्कि मराठी, संस्कृत, बंगाली, असमिया, पंजाबी, गुजराती, ओड़िया, तमिल, तेलेगु, मलयालम और कन्नड़ समेत नेपाली में भी हैशटैग बनाया जा सकता है.

कंपनी की वेबसाइट का कहना है कि वह उम्मीद करती है कि एक दिन ऐसा आएगा जब ट्विटर के ट्रेंड में भारतीय भाषाओं का बोलबाला होगा. अगर ट्विटर के प्रबंधक ऐसी उम्मीद करते हैं तो उन्हें भारत के विशाल उपभोक्ता आधार को जोड़ने के लिए ट्विटर को महज ब्रेकिंग न्यूज की वेबसाइट से बढ़ाकर संपूर्ण सोशल मीडिया के रूप में बदलना होगा. ऐसा विशेषज्ञों का मानना है.

लखनऊ के डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया रणनीतिकार अनूप मिश्रा का कहना है, “ट्विटर भारत की स्थानीय भाषाओं जैसे हिन्दी आदि के प्रयोक्ताओं को ध्यान में रखकर यहां के लिए अलग से सर्वर लगाने की योजना बना रही है. वे भारत से बहुत उम्मीद लगा रहे हैं. मैं समझता हूं कि ट्विटर धीरे से लेकिन मजबूती से आगे बढ़ रहा है और अगले एक-दो सालों में उनके प्रयोक्ताओं का आधार काफी बढ़ सकता है अगर वे भारत को शीर्ष प्राथमिकता दें.”

ग्लोबल मार्केटिंग कंस्लटेंसी फर्म गार्टनर के शोध निर्देशक विशाल त्रिपाठी के मुताबिक ट्विटर के अपने भारत के सक्रिय प्रयोक्ताओं के आधार पर ध्यान देना चाहिए.

त्रिपाठी ने आईएएनएस को बताया, “ट्विटर के ज्यादातर प्रयोक्ता निष्क्रिय हैं. मैंने हाल ही में पढ़ा कि 40 फीसदी ट्विटर प्रयोक्ता कभी ट्विट नहीं करते और केवल मशहूर हस्तियों को फॉलो करते हैं. उन्हें सक्रिय बनाने की जरूरत है और इसके लिए वेबसाइट पर विज्ञापनों के मुनाफे को प्रयोक्ताओं के साथ बांटने की जरुरत है. इस तरीके से ही ट्विटर ब्रेकिंग न्यूज प्लेटफार्म से आगे बढ़ सकता है.”

हालांकि भारत में ट्विटर की राह आसान नहीं है. उसे लगातार तीन दिशाओं में आगे बढ़ना होगा. प्रयोक्ताओं की संख्या बढ़ाना, विज्ञापनों से राजस्व के नए मॉडल तैयार करना और विविधतापूर्ण सामग्रियों को मुहैया कराना.

रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल नेटवर्किग की विशाल कंपनी फेसबुक ने पिछले छह महीनों में भारत में 1.3 करोड़ नए प्रयोक्ताओं को जोड़ा है और इसके औसत प्रयोक्ता 12.5 करोड़ हैं. वहीं, फोटो साझा करनेवाली प्लेटफार्म इंस्टाग्राम के भी भारत में प्रयोक्ताओं की संख्या एक साल में दुगुनी हो चुकी है.

मार्केटिंग रिसर्च एंड कंस्लटिंग फर्म साइबर मीडिया रिसर्च के विश्लेषक कृष्णा मुखर्जी बताते हैं, “ट्विटर के लिए डराने वाली बात यह है कि फेसबुक उसे पीछे छोड़ रही है. फेसबुक ने ट्विटर से पहले अपने साइट पर वीडियो की शुरुआत की और ट्विटर ने इसे पकड़ा तब तक बहुत देर हो चुकी थी.”

वहीं, मिश्रा को उम्मीद है कि ट्विटर एक बार फिर आगे बढ़ेगी, “ट्विटर के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इस पर ट्रेंड होनेवाला टॉपिक समूची मीडिया में ट्रेंड करता है. मुझे लगता है कि ट्विटर को अपने लाखों नकली एकाउंट को हटाने पर जोर देना चाहिए जो उसके राजस्व में सेंध लगाते हैं.”

वे कहते हैं कि ट्विटर को भारत में क्षेत्रीय जरूरतों और सामग्रियों पर जोर देना चाहिए. फिलहाल ट्विटर पर केवल देश के हिसाब से प्रयोक्ताओं के हिसाब से विज्ञापन आते हैं. उसे स्थानीय आधार पर विज्ञापन देने चाहिए.

ट्विटर की सबसे खासियत किसी ट्रेंडिग मुद्दे पर लोगों को जोड़ना है. उसे अपनी इसी खासियत को लाभ में बदलना होगा खासतौर से ऐसे माहौल में जब उपभोक्ताओं की जरूरतें तेजी से बदल रही है.

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